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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदित्त 76 आदित्तभवत्तय जिक्र आया है; - नं द्वि. वि., ए. व. - आदित्तपरियायं पच्चवेक्खमानोति आदित्तदेसनं ओलोकेन्तो, महानि. अट्ठ. 372. आदित्त नपुं., आदि का भाव., केवल स. प. में ही प्राप्त [आदित्व], आदि में या प्रारम्भ में रहना; अचिन्तिया. - नपुं., [अचिन्त्यादित्व], अचिन्तनीय आदि की अवस्था - अचिन्तियादित्तमुपागतो यो, जिना. 4; कुसलादित्तसाधक - त्रि., कुशल-भाव के प्रारम्भभाव का निष्पादक -को पु..प्र. वि., ए. व. - धम्मानं कुसलादीनं, कुसलादित्तसाधको, अभि. अव. 543; तस्मा हि कुसलादीनं, कुसलादित्तसाधको, अभि. अव. 546. आदित्तक त्रि., आदित्त से व्यु. [आदीप्तक], धधक रहा, जल रहा, प्रज्वलित - को पु., प्र. वि., ए. व. - एवं आदित्तको लोको, जराय मरणेन च, स. नि. 1(1).35. आदित्तगेहसदिस त्रि., [आदीप्तगेहसदृक], जलते हुए या आग से धधक रहे घर जैसा - सा पु., प्र. वि., ब. व. - तयो भवा आदित्तगेहसदिसा खायिंसु, जा. अट्ठ. 1.71. आदित्तघर नपं. कर्म. स. [आदीप्तगृह], आग से धधक रहा घर - तो प. वि., ए. व. - पुन डरिहतमिच्छसीतिआदित्तघरतो नीहटभण्ड विय, स. नि. अट्ठ. 1.270. आदित्तचेल त्रि., ब. स., वह, जिसके वस्त्र आग से जल रहे हों - लो पु., प्र. वि., ए. व. - आदित्तचेलो वा आदित्तसीसो वा..., अ. नि. 1(2).108; स्स ष. वि., ए. व. आदित्तचेलस्सिरसूपमो मुनि, भङ्गानुपस्सी अमतस्स पत्तियाति, पटि. म. अट्ठ. 1.220. आदित्तछारिका स्त्री., कर्म. स., तपता हुआ या धधक रहा अंगारा - कसङ्खात त्रि., धधक रहे अंगारे जैसा - तेन पु., तृ. वि., ए. व. - आदित्तछारिकसङ्घातेन कुक्कुळेन विय, जा. अट्ठ. 3.395. आदित्तजातक नपुं., जातक संख्या 424 का शीर्षक, जा. अट्ठ. 3.414-418. आदित्तदेसना स्त्री., "सभी कुछ आदीप्त है या धधक रहा है" इस उपदेश से युक्त महाव. का 'आदित्तपरियाय' नामक सुत्त, इसे आदित्तसुत्त की संज्ञा से भी अभिहित किया गया है। संयुत्तनिकाय में तीन आदित्तसुत्त हैं। प्रथम आदित्तसुत्त जेतवन में बुद्ध के सम्मुख एक देवता द्वारा उच्चरित है। दूसरा आदित्तसुत्त श्रावस्ती में उपदिष्ट हुआ । था। तीसरा आदित्तसुत्त, जो आदित्तपरियायसुत्त के नाम से भी जाना जाता है, गया में उपदिष्ट हुआ। उपर्युक्त सुत्तों की विषय-वस्तु प्रायः समान है। इस सुत्त की चर्चा जा. अट्ठ. 1.91 तथा 4.161 में भी आई है। अ. नि. अट्ठ. 1.82 व 1.227 में और थेरगा. अट्ठ. 2.69 में भी इस सुत्त का आदित्तपण्णकुटी स्त्री., कर्म. स. [आदीप्तपर्णकुटी], जलती हुई फूस की झोपड़ी – तेसं आदित्तपण्णकुटि विय तयो भवा उपट्ठहिंसु. स. नि. अट्ठ. 2.171; अ. नि. अट्ठ. 1.141. आदित्तपण्णसाला स्त्री, कर्म. स. [आदीप्तपर्णशाला], उपरिवत् - ला प्र. वि., ए. व. - मयं भणे आदित्तपण्णसाला विय तयो भवाति पब्बजिम्हा, अ. नि. अट्ठ. 1.142; - लं द्वि. वि., ए. व. - अत्तानं आदित्तपण्णसालं पविट्ठ विय च मञमानो, जा. अट्ट, 1.142. आदित्तपरियाय पु./नपुं., महाव. तथा स. नि. में संगृहीत वह उपदेश, जिसमें उपमा द्वारा रूप, वेदना आदि को राग, द्वेष एवं मोह की अग्नि से प्रज्वलित बतलाया गया है - यो पु., प्र. वि., ए. व. – कतमो च, भिक्खवे, आदित्तपरियायो, धम्मपरियायो, स. नि. 2(2).172; - यं द्वि. वि., ए. व. - आदित्तपरियायं वो, भिक्खवे, धम्मपरियायं देसेस्सामि, स. नि. 2(2).172; आदित्तपरियाय पच्चवेक्खमानो, महानि. 365; उपसम्पन्नो आदित्तपरियायावसाने अरहत्तं, स. नि. अट्ठ. 2.191; -- येन तृ. वि., ए. व. - निमित्तग्गाहो'तिआदिना आदित्तपरियायेन वेदितब्बा, अ. नि. अट्ठ. 3.129; - देसना स्त्री., तत्पु. स., आदित्तपरियाय का उपेदश- नं द्वि. वि., ए. व. -- एवं आदित्तपरियायदेसनं सत्वा सह पटिसम्भिदाहि अरहत्तं ..., अप. अट्ठ. 2.281; - य तृ. वि., ए. व. - गयासीसे निसीदापेत्वा आदित्तपरियायदेसनाय अरहत्ते पतिद्वापेत्वा, जा. अट्ठ. 1.91; बु. वं. अट्ठ. 22; ध. प. अट्ठ. 1.52; - सुत्त नपुं., महाव. तथा स. नि. में संगृहीत वह सुत्त, जिसमें रूप, वेदना, चक्षु, स्रोत आदि को राग, द्वेष एवं मोह की अग्नि से प्रज्वलित बतलाया गया है - आदित्तपरियायसुत्तं निहितं, महाव. 40; आदित्तागारसदिसे कत्वा दस्सेतुं वट्टतीति आदित्तपरियायसुत्तं देसेसि, अ. नि. अट्ठ. 1.227; गयासीसे आदित्तपरियायसुत्तपरियोसाने जटिलसहस्सं अरहत्ते पतिट्ठापेसि, अ. नि. अट्ठ. 1.82. आदित्तभवत्तय नपुं, कर्म. स. [आदीप्तभवत्रय], कामभव, रूपभव एवं अरूपभव, इन तीन भवों का दाह या जलनरागादीहि एकादसहि अग्गीहि आदित्तं भवत्तयसवातं अङ्गारकासुंयेव, उदा. अट्ठ 290; पाठा. आदित्तं भवत्तयसवातं. For Private and Personal Use Only
SR No.020529
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2009
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size10 MB
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