SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 711
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra असम्पत्त होने देने का काम करने वाला सो पु.. प्र. वि. ए. व. असम्पटिवेधरसो आरम्मणसभावच्छादनरसो वा ध. स. अड. 289 लक्खण त्रि.. ब. स. [असम्प्रतिवेधलक्षण]. प्रतिवेधज्ञान न कराने के लक्षण से युक्त णा स्त्री. प्र. कि.. ए. व. सब्बधम्मयाथावअसम्पटिवेधलक्खणा अविज्जा नेत्ति. 25. - असम्पत्तवयाव असम्पत्त त्रि., सं + √प + √ आप के भू० क० कृ० का निषे. [ असंप्राप्त], क. अप्राप्त (समय), अभी तक नहीं आया हुआ (समय या बारी) - त्ते पु.. सप्त. वि., ए. व. - यो वे काले असम्पत्ते, अतिवेलं पभासति, जा. अट्ठ. 3.88; तत्थ काले असम्पत्तेति अत्तनो वचनकाले असम्पते जा. अड्ड. 3.89; ख. वह, जो अभी तक पहुंच नहीं सका है या जिसे अभी तक कुछ मिल नहीं सका है असम्पत्तोहि राजानं अहसं सिखिनायक, अप. 1.227; वय त्रि०, ब० स० [असम्प्राप्तवयस्] परिपक्व आयु को अप्राप्त, नाबालिग, अवयस्क या स्त्री० प्र० वि०, ब० व. कुमारियो पुरिसन्तरं गन्त्वा जा. अट्ठ. 1.322. असम्पदान नपुं. सम्पदान का निषे तत्पु, स. [असम्प्रदान), दान न करना, आपस में न बांटना नेन तृ. वि., ए. व. असम्पदानेनितरीतरस्स जा. अड. 1.446 तत्थ असम्पदानेनाति असम्पादानेन जा. अ. 1.447 जातक नपुं., जा. अट्ठ. की एक कथा, जा. अट्ठ. 1.445-448. असम्पदुट्ठ त्रि. सं प + √दुस के भू० क० कृ० का निषे. [असंप्रदुष्ट], नहीं प्रदूषित, अमिश्रित, अप्रभावित, मैत्रीभावना से विशुद्ध द्वो पु. प्र. वि. ए. व. तेसु तुवं वचसा कम्मुना च, असम्पदुट्ठो च भवाहि निच्चं, जा० अ० 7.215; च निच्चं असम्पदुट्ठो भव... मेत्तचित्तसङ्घातं असम्पदोसं अनुरक्ख तदेद्वं पु. वि. वि. ए. व. कथं हि दुडेन असम्पदुई, सुद्ध... करेण्या ति सु. नि. 90. असम्पदोस पु०, सम्पदोस का निषे. [असम्प्रदोष ], द्वेषभाव का अभाव, अद्वेष, मैत्री भावना संहि. वि. ए. व. एवं तुवं नाग असम्पदोस, अनुपालय वचसा कम्मुना च, जा. अह. 7215; अनुपालयाति मेतचित्तसङ्घातं असम्पदोसं अनुरक्ख, तदे.. असम्पवेधी त्रि, सं० + प + √विध से व्यु० क्रि० विशे. का निषे [असम्प्रवेधिन्], कम्पनरहित, नहीं हिलने-डुलने वाला, अविचलित, स्थिर, दृढ़धी' पु. प्र. वि. ए. क. इन्द्रखीलो... गम्भीरनेमो सुनिखातो अचलो असम्पवेधी, दी. नि. 3.99 धी स्त्री. प्र. वि. ए. व. नगरे एसिका " - www.kobatirth.org - 684 असम्बाध होति गम्भीरनेमा... असम्पवेधी अ. नि. 2(2). 241 धी पु. प्र. वि. ब. क. खिला निखाता असम्पदेधी (इति धनियो गोपो) सु. नि. 28. असम्पादित त्रि. [असम्पादित], पूर्णता की स्थिति तक प्राप्त न कराया गया, शुद्ध रूप में अप्राप्त अनुपार्जित अत्तमावस्स पु. कर्म. स. प. वि. ए. व. पूर्णतया विशुद्ध रूप में अप्राप्त अस्तित्व अकतत्तस्साति असम्पादितअत्तभावरस मित्तदुभिस्स, जा. अड. 5.347. असम्पायन्त त्रि, वर्त. कृ. [ असम्पादयत्], उपयुक्त उत्तर नहीं देने वाला, प्रश्न का उचित रूप में विसर्जन नहीं कर रहा " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 न्ता पु०, प्र० वि०, ब० व. असम्पायन्ता कोपञ्च दोसञ्च अप्पच्चयञ्च पातुकरोन्ति, सु. नि. (पृ.) 157. असम्पायन नपुं [असम्पादन] उपयुक्त उत्तर न देना, अनिष्पादन न प्र. वि. ए. क. सो मगस्स विधातोति - नं यं यं पुनपुनं वत्वापि असम्पायनं नाम दी. नि. अड्ड. 1.100. असम्फप्पलापवादिता स्त्री. भाव० [असंप्रलापवादिता], निरर्थक बातें न बोलना, बकवास न करना अपिसुनाफरुसासम्फप्पलापवादिता... खु. पा. अड. 24. असम्फुट्ठ/असम्फुट त्रि, सम्फुट का निषे [असस्पृष्ट]. 1. स्पर्श न किया हुआ, अछूता 2 नहीं भरा हुआ, अपरिपूर्ण, अपरिव्याप्त नपुं. प्र. वि. ए. व. यो आकासो द्वं आकासगतं ... असम्फुदुं चतूहि महाभूतेहि - इदं तं रूपं आकासधातु, ध. स. 724; महाभूतेहीति एतेहि असम्फुट्ठ निज्जटाकारांव कथितं ध. स. अड. 352. असम्बन्ध त्रि., ब० स० [ असम्बद्ध], आपस में नहीं जुड़ा हुआ, एक दूसरे के साथ सम्बन्ध न रखने वाला न्धा पु०, प्र. वि. ब. व. असतात जयम्पतिका भवितुं अयुत्ता असम्बन्धा, जा. अट्ठ. 3.233 - त्त नपुं, भाव. [ असम्बद्धत्व ], सम्बन्ध का न रहना त्ताप.वि., ए. व. एक पन .....अजेहि रुक्खेहि असम्बन्धत्ता उम्मूलेत्या भूमियं पातेसि जा. अट्ठ. 1.313. " 1 For Private and Personal Use Only , असम्बाध त्रि. ब. स. [असम्बाध] बाधारहित, रुकावटरहित, रोकटोक रहित घं स्त्री. द्वि. वि. ए. व. मेत्तञ्च .... मानसं ... उद्धं ... असम्बाधं अवेरमसपत्तं, सु. नि. 150; असम्बाधन्ति सम्बाधविरहितं सु. नि. अड. 1.166: घर नपुं. प्र. वि., ए. व. असपत्तमसम्बाध .... थेरीगा. 514: किलेससम्बाधाभावतो असम्बाधं थेरीगा. अट्ट. 316:धाय पु. प्र. वि., ए. व. असम्बाधाय गन्धकुटियं विहरन्तो विय.... जा. अट्ठ. 1.88.
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy