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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अवरिसत सङ्केत त्रि. वर्षा ऋतु के चार मासों के अतिरिक्त अन्य आठ मासों का सङ्केत देने वाला ते पु.. द्वि. वि. ब. व. - अनुजानामि, भिक्खवे, अह मासे अवस्सिकसते मण्डपे वा रुक्खमूले सेनासनं निक्खिपितु न्ति, पाचि. 59; अवस्सिकरातेति वस्सिकवस्सानमासाति एवं अपञ्ञते. अड्ड मासेति अत्यो, पाचि अड. 33 ख उपसम्पदा ग्रहण करने के समय के बाद एक वर्ष पूरा न करने वाला, वह, जिसने उपसम्पदा लिए हुए एक वर्ष भी पूरा नहीं किया है। पु. प्र. वि., ए.व. उपसम्पन्नकाले पन अवस्सिकोव समानो तिपिटकधरो अहोसि पारा. अट्ट. 1.31: अवस्सिकोव समानोति उपसम्पदतो पट्ठाय अपरिपुण्णएकवस्सो अधिष्यायो, सारत्थ. टी. 1.110 दहर पु.. कर्म. स. एक वर्ष पूरा न किया हुआ श्रामणेर, वह श्रामणेर, जिसने एक वर्षावास भी पूर्ण नहीं किया है रानं ष. वि., ए. व. अवस्सिकदहराने सन्तिकं गन्त्वा म. नि. अड्ड. (म.प.) - 621 2.98. अवस्थित त्रि, अव + √सि का भू॰ क. कृ. [अवश्रित / अधिश्रित] सहारा, आश्रय या अवलम्बन लिया हुआ, किसी के सहारे टिका हुआ तो पु. प्र. वि. ए. व. अनरियधम्ममवस्सितो, जा. अट्ठ. 5.371; ता ब. व. सब्बे व किब्बिसा चण्डा मदमाना अवस्सिता, दी. नं. 25. अवस्सुत त्रि अ + √सु का भू. क. कृ. [अवस्रुत], शा. अ. क. बाहर निकल कर वह रहा, रिसाव से युक्त, टपक रहाते पु.. सप्त. वि. ए. व. विरत्थु पूरे दुग्गन्धे, मारपक्खे अवस्सुते, थेरगा. 279; अवस्सुतेति सब्बकालं तहिं तहिं असुचिनिस्सन्दनेन च अवरसुते, थेरगा. अड्ड 2.10; ख. भीगा हुआ, गीला, आर्द्र तं नपुं. प्र. वि., ए. व.- कूटागारे दुच्छन्ने कूटम्पि अरविखतं होति... कूटम्पि अवस्सुतं होति, अ. नि. 1 (1) 295 ला. अ. क. दूषित वासनाओं से ग्रस्त, राग से रञ्जित, इच्छाओं में डूबा हुआ अरक्खितकायकम्मन्तस्स.... कायकम्मम्पि अवस्सुत होति..., अ. नि. 1 (1). 295; यो सो पुग्गलो दुस्सीलो पापधम्मो ... अन्तोपूति अवस्सुतो... न तेन सह संवसति, अ. नि. 3 ( 1 ) 41-42... कसम्बुजातो अवस्सुतो पापो विसुद्धि. स्स पु०, ष. वि., ए. व. छहि द्वारेहि रागादिकिलेसानुवरसेन तिन्तत्ता अवस्सुतस्स, विसुद्धि. महाटी. 1.80 तानं पु. ष. वि. व. व. अवस्सुतानन्ति किलेसेन तिन्तानं, महानि, अट्ठ. 208; ख. अन्य पुरुष या नारी के प्रति कामवासना से ग्रस्त चित्त वाला / वाली - तो पु०, प्र० 1.54; Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवहनन वि., ए. व. - अवस्सुतो नाम सारतो अपेक्खवा पटिबद्धचित्तो, पाचि. 287: कायकम्मन्त त्रि०, ब० स०, प्रदूषित अथवा कलुषित शारीरिक, वाचिक एवं मानसिक कर्मों वाला स पु. ष. वि. ए. व. तस्स अवस्सुतकायकम्मन्तरस कायकम्मम्पि प्रतिक होति. अ. नि. 1 (1). 295 चित्त त्रि.. ब. स., रागयुक्त अथवा कलुषित चित्त वाला - तं पु०, द्वि० कि.. ए. व. कस्मा पन भगवा अवस्सुतचितं आयस्मन्तं नन्द अच्छरायो ओलोकापेसि, उदा. अट्ठ 139; - परियाय पु. व्य. सं. स. नि. के षळायतन संयुक्त्त के एक सुत्त का शीर्षक, जिसमें भिक्खु महामोग्गल्लान ने चित्त के अवस्सुत या रागरञ्जित तथा प्रदूषित होने के कारणों पर उपदेश दिया है. स. नि. 2 ( 2 ) 184-188 यं द्वि. वि. ए. व. - आयस्मा महामोग्गल्लानो एतदवोच अवस्सुतपरियायञ्च वो आयुसो, देसेस्सामि अनवरसुतपरियायञ्च स. नि. 2 ( 2 ). 185; भाव पु०, तत्पु० स०, राग का भाव, कामवासना का भाव वे सप्त वि., ए. व. भिक्खुनिया चेव पुरिसस्स च कायसंसग्गरागेन अवस्सुतभावे सतीति अत्थो, पाचि. अ. For Private and Personal Use Only 163. अवस्तुति स्त्री, मैथुन-क्रिया, शारीरिक सम्बन्ध तिं द्वि. वि., ए. व. - पितुनो च सा सुत्वान वाक्यं, रत्तिं निक्खम्म अवस्सुतिं चरीति, जा. अड. 7.155; तत्थ अवस्सुतिन्ति, भिक्खवे, सानागमाणविका पितु वचनं सुत्वा पितरं अस्सासेत्वा, अञ्जनगिरिं गत्वा अवस्सुतिं चरि किलेसअवस्युतिं मतुपरियेसनं चरीति अत्थो, तदे 0. " " अवहत / ओहट त्रि. अव + √हर का भू. क. कृ. [अबहूत ]. 1. शा. अ. दूर ले जाया गया, हटा दिया गया, ला. अ. चुरा लिया गया टा पु०, प्र. वि., ब. व. इमिना देव पुरिसेन मय्हं अम्बा अवहटा ति मि. प. 45 - टेसु पु. सप्त वि. ब. व. यस्सोधेन सब्बकुणपेसु अवहटेसु सुद्धवालुकवस्सं वस्सि, जा. अट्ठ. 5.129 टं नपुं. प्र. वि. ए. व. - अवहारकेन हि गया इदं नाम अवहट न्ति, पारा. अड. 1.244; 2. कर्तृ. वा. में टो पु. प्र. वि., ए. 4. यो अवहटो सो पाराजिको ति पारा. 76. अवहनन नपुं, अव + √हन से व्यु, क्रि. ना. [ अवहनन]. अधोगमन, नीचे की ओर जाना पु. तत्पु, स. [ अवहननार्थ], अधोगमन का अर्थ, नीचे की ओर बहने का आशय या तात्पर्य द्वेन तु वि. ए. व. सब्बोपि चेस - अवहननद्वेन रासद्वेन च ओघोति वेदितब्बो, अवहननद्वेनाति अद्योगमनईन, स. नि. अड. 1.17: किञ्च भिय्यों व. " ran -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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