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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्बिलापिक 543 अम्बूपम राजमहामत्तं वा नानच्चयेहि सूपेहि पच्चुपट्टितो अस्स- 5.7; - म्बूनि प्र. वि., ब. व. - अच्छा सवन्ति अम्बनि, जा. अम्बिलग्गेहिपि... अलोणिकहिपि, स. नि. 3(1).228; - लत्त अट्ठ. 7.169; - चारी त्रि., [अम्बुचारिन्]. जल में विचरण नपुं॰, भाव. [अम्लत्व], खट्टापन, अम्लत्व, अम्लता - त्तं द्वि करने वाला/वाली मछली, मत्स्य - री पु.. प्र. वि., ए. व. वि., ए. व. - ... अब्भन्तरे सो ... जानेय्य अम्बिलत्तं ... - जालंव भेत्वा सलिलम्बुचारी, सु. नि. 62; सलिले अम्बुचारी कसायत्तं वा मधुरत्तं वा ति, मि. प. 56; - पस्सव पु., एक सलिलम्बुचारी, सु. नि. अट्ठ. 1.91. विहार का नाम - वं द्वि. वि., ए. व. - विहारं तंसमीपम्हि अम्बुज त्रि., [अम्बुज], जल में उत्पन्न क. पु., मछली, मीन कत्वा अम्बिलपरसवंचू, वं. 42.17; - फल नपुं. [अम्लफल]. (इस अर्थ में संस्कृत में अप्रयुक्त) - जो प्र. वि., ए. व. - खट्टा फल - लं प्र. वि., ए. व. - अझं किञ्चि अम्बिलफलं मच्छो मीनो जलचरो पुथुलोमो'म्बुजो झसो, अभि. प. 671; आहरिस्सामी ति, जा. अट्ठ. 3.24; - भाजन नपुं., पटिगन्तुं न सक्कोमि, वयस्तोव अम्बुजो, दी. नि. 2.1963; [अम्लभाजन], खट्टी चीजों को रखने के लिए प्रयुक्त पात्र ख. कमल - जं नपुं., प्र. वि., ए. व. - जातं यथा - नं द्वि. वि., ए. व. - ... यावं दधिभाजनादिकं अम्बिलभाजनं पोक्खरणीसु अम्बुजं. जा. अट्ठ. 3.281; अम्बुजन्ति पदुमस्सेव न पापुणाति, ध. प. अट्ठ. 1.287; - यागु' स्त्री., [अम्लयवागु]. वेवचनं तदे... खट्टे चावल का मांड या दलिया - गुं द्वि. वि., ए. व. - अम्बुजिनी स्त्री., कमलों वाला तालाब - नी प्र. वि., ए. व. साकपण्णं पक्खिपित्वा कणतण्डुलेहि अम्बिलयागु पचित्वा - सेवालो नीलिका चाथ भिसिन्यम्बुजिनी भवे, अभि. प. 689. ठपेहि स. नि. अठ्ठ. 3.195; - यागु' पु., श्रीलङ्का के प्राचीन अम्बुट्ठी स्त्री., प्र. वि., ए. व., व्य. सं., श्रीलङ्का का एक गांव का नाम - गुम्हि सप्त. वि., ए. व. - गामे अम्बिलयागुम्हि प्राचीन सरोवर - वलाहस्सं च अम्बट्ठी गोण्डिगाम्हि वापिकं, वासं पुत्ते दुवे लभि. चू. वं. 38.15; - सुरा स्त्री., [अम्लसुरा], चू. वं. 37.185. खट्टा मद्य, खट्टी मदिरा - राय तृ. वि., ए. व. - आदाय अम्बुद पु., [अम्बुद], शा. अ. जल देने वाला, ला. अ. पीठके निसीदित्वा अम्बिलसुराय कोसकं पूरेत्वा, जा. अट्ट मेघ, बादल - दो प्र. वि., ए. व. - मेघो बलाहको देवो 1.334. पज्जुन्नोम्बुधरो घनो, धाराधरो च जीमूतो, वारिवाहो तथाम्बुदो, अम्बिलापिक पु., एक गांव का नाम - कं द्वि. वि., ए. व. अभि. प. 47; पियो दानपति होति गिम्हकाले व अम्बुदो, - कस्सपरस गिरिस्सापि आहारं अम्बिलापिकं चू, वं. सद्धम्मो. 275. 44.98. अम्बुधर पु., [अम्बुधर], मेघ, बादल - रो प्र. वि., ए. व. अम्बिलिकाफल नपुं.. [अम्लिकाफल]. इमली का फल - - मेघो बलाहको देवो पज्जुन्नोम्बुधरो घनो, अभि. प. 47; - लं द्वि. वि., ए. व. - एको कबिट्ठफलञ्च अम्बिलिकाफलञ्च, बिन्दु पु., वर्षा की बूंद - यदि वदनसंयोगे चुविधातु वत्तति अ. नि. अट्ठ. 2.50; अम्बिलिकाफलञ्च अद्दसाति आनेत्वा कथं... अम्बुधरबिन्दुचुम्बितकूटो ति एत्थ अवचने ..., सद्द. सम्बन्धो, अम्बिलिकाफलन्ति तिन्तिणीफलन्ति वदन्ति, अ. 2.405. नि. टी. 241. अम्बुय्यान नपुं., श्रीलङ्का में अवस्थित एक प्राचीन बौद्धविहार अम्बिलपदर पु., एक गांव का नाम - रं द्वि. वि. ए. व. - का नाम - म्हि सप्त. वि., ए. व. - अम्बुय्यानम्हि आवासं अम्बिल्लपदरं चादा चेतियस्स गिरिस्स सो..., चू. वं. कत्वा दप्पुलपब्बतं, चू, वं. 49.30... 44.122. अम्बुसेवालसञ्छन्न त्रि., [अम्बुशैवालसञ्छन्न], पानी और अम्बु नपुं.. [अम्बु], जल, पानी - पानीयं उदकं तोयं, जलं । सेवार (शैवाल) से ढका हुआ, जल और सेवार से आच्छादित पातो च अम्बु च, सद्द. 2.408; -- म्बु प्र. वि., ए. व. - -- न्ना पु., प्र. वि., ब. व. - अम्बुसेवालसञ्छन्ना ते सेला अम्बूति उदकं सु. नि. अट्ट, 1.91; - ना तृ. वि., ए. व. स्मयन्ति मन्ति, थेरगा. 113; अम्बुसेवालसञ्छन्नाति पसवनतो - अम्बुना नेक्खम्मनिन्नो तिभवाभिनिस्सटो, थेरगा. 1092; सततं पग्घरमानसलिलताय तहं तहं उदकसेवालसञ्छादिता, ... विमलंव अम्बुनाति यथा... निम्मलं विरजं... उदकेन न थेरगा. अट्ठ. 1.244. लिम्पति, थेरगा. अट्ठ. 2.387; - नि सप्त. वि., ए. व. - अम्बूपम त्रि., ब. स. [आम्रोपम], आम जैसा, आम के फलों फलं पतति अम्बुनि, जा. अट्ठ. 5.6; सोतस्साति यं उभतो के समान - मा पु., प्र. वि., ब. व. - चत्तारो अम्बूपमा तीरे जातरुक्खेहि फलं मम अम्बुनि पतति, जा. अट्ठ पुग्गला सन्तो संविज्जमाना लोकस्मि, अ. नि. 1(2).122. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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