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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभिसमाचित 510 अभिसमेति अ. ख. खन्धकों में निर्दिष्ट शिक्षा-पद या शिक्षा, उत्तमआचरण से सम्बद्ध नियम, आचरण के विशिष्ट नियमों के साथ जुड़ा हुआ, मार्गशील एवं फलशील की दृष्टि से प्रज्ञप्त - कं नपुं.. प्र. वि., ए. व. - अधिको समाचारो अभिसमाचारो तत्थ नियुत्तं, सो वा पयोजनं एतस्साति आभिसमाचारिक विसुद्धि. महाटी. 1.30; - काय स्त्री., सप्त. वि., ए. व. - पटिबलो... सद्धिविहारिं वा आभिसमाचारिकाय सिक्खाय सिक्खापेतुं, महाव. 83; आभिसमाचारिकाय सिक्खायाति खन्धकवत्ते विनेतुं न पटिबलो होतीति अत्थो, महाव. अट्ठ. 259; - का प्र. वि., ए. व. - मया सावकानं आभिसमाचारिका सिक्खा पञत्ता, अ. नि. 1(2).278; आभिसमाचारिकाति उत्तमसमाचारिका, अ. नि. अट्ठ. 2.392; 2. नपुं.. खन्धकों में संगृहीत क्षुद्रकानुक्षुद्रक शिक्षापद - खुद्दानुखुद्दकं आभिसमाचारिकमुच्चते, अभि. प. 431; - कं प्र. वि., ए. व. - अभिसमाचारोव आभिसमाचारिक विसुद्धि. महाटी. 1.31; एवं आभिसमाचारिक - आदिब्रह्मचरियकवसेन दुविधं विसुद्धि. 1.12; - केसु सप्त. वि., ब. व. - असंसठ्ठो आभिसमाचारिकसु सक्कच्चकारी गरूचित्तीकारबहुलो विहरति, उदा. अट्ठ. 182; -धम्मपूरण नपुं., परम्परा-प्राप्त उदात्त धर्म को पूरा करना या उसका अनुपालन करना - णं प्र. वि., ए. व. - भिक्खूनहि मेत्तचित्तेन आभिसमाचारि-कधम्मपूरणं मेत्तं कायकम्म..., म. नि. अट्ठ (मू.प.) 1(2).288; - वत्त नपुं.. उत्तम आचरण से सम्बद्ध व्रत या नैतिक आचरण - त्तं द्वि. वि., ए. व. - आभिसमाचारिकवत्तहि पूरेन्तोयेव अरियफलादीनि सच्छिकरोति, ध. प. अट्ठ. 2.90; गामन्तमभिहारयति आभिसमाचारिकवत्तं कत्वा, सु. नि. अट्ठ. 2.194; - तो प. वि., ए. व. - आयरमा सारिपुत्तो... वसेन आभिसमाचारिकवत्ततो पट्ठाय ..., म. नि. अट्ठ (म.प.) 2.132; - वत्तपटिवत्त नपुं॰, प्र. वि., ए. व. छोटे-मोटे आचरणीय नियम - अभिसमाचारिकवत्तपटिवत्तं मम अकासि. जा. अट्ठ. 5.224. अभिसमाचित त्रि., अभि + सं + आ + vचि का भू. क. कृ. [अभिसमाचित], संग्रहीत, एक साथ पुजीभूत किया हुआ, केवल स. उ. प. के रूप में प्राप्त चिरकाला. के अन्त. द्रष्ट... अभिसमित त्रि., अभिसमेति का भू. क. कृ., समझा हुआ, बूझा हुआ, जाना हुआ, पता लगाया हुआ - तो पु.. प्र. वि., ए. व. - अम्हाकं धम्मो अम्हाकं अय्यपत्तेन धम्मो अभिसमितोति, पारा. 278; ... पन अत्तनो सन्तकभावे युत्तिं दस्सेन्तो अम्हाक अय्यपत्तेन धम्मो अभिसमितो ति, आह, पारा. अट्ठ. 2.178; - त्त नपुं॰, भाव.. समझा हुआ अथवा जाना हुआ रहना - त्ता प. वि., ए. व. - धम्मस्स सुतत्ता सच्चानञ्च अभिसमितत्ता मनुस्सेसु दिब्बेसु चाति ... अरति उक्कण्ठिं अधिगच्छि, थेरीगा. अट्ठ. 265. अभिसमेक्खति अभि + सं + इक्ख का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अभिसमीक्षते], भली-भांति देखता है, अवलोकन करता है, अनुचिन्तन करता है, गहराई के साथ विचारता है- से म. पु., ए. व., आत्मने. - यं त्वं सुखेनाभिसमेक्खसे मं, जा. अट्ठ. 4.18; यं त्वन्ति यस्मा त्वं सुखेन में अभिसमेक्खसे, तदे. - क्ख अनु०. म. पु., ए. व. - त्वं नोत्तमेवाभिसमेक्ख नारद, जा. अट्ठ. 5.390; त्वं नोत्तमेवाति उत्तममहामनि त्वमेव नो उपधारेहि, तदे.. अमिसमेतु पु.. अभि + सं+Vइ से व्यु. क. ना., अच्छी तरह से जानने या समझने वाला - तारो प्र. वि., ब. व. - पुथुज्जनानम्पि भिक्खु भिक्खुनी उपासकउपासिकानं धम्मदेसनं सुत्वा होन्तियेव धम्म अभिसमेतारो, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 1(1).201. अभिसमेतब्ब त्रि., अभिसमेति का सं. कृ., ठीक से समझने योग्य - तो प. वि., ए. व. - पटिवेधोति हि अभिसमेतब्बतो अभिसमयो, उदा. अट्ठ. 17; - भाव पु., ठीक से या पूर्ण रूप से समझे जाने योग्य होना - वेन तृ. वि., ए. व. - अभिसमयट्ठोति... अभिसमेतब्बभावेन एकीभावं उपनेत्वा वृत्तानि, उदा. अट्ठ. 17. अभिसमेतावी त्रि., पूर्ण रूप से समझ चुका, अच्छी तरह से ज्ञान पा चुका - विनो पु., प्र. वि., ब. व. - दिद्विसम्पन्नस्स पुग्गलस्स अभिसमेताविनो ..., स. नि. 1(2).119; अभिसमेताविनोति पञआय अरियसच्चानि अभिसमेत्वा ठितस्स, स. नि. अट्ठ. 2.113; - विनी स्त्री., प्र. वि., ए. व. - सद्धेय्यवचसा नाम आगतफला अभिसमेताविनी विज्ञातसासना, पारा. 294; अभिसमेताविनीति पटिविद्धचतुसच्चा, पारा. अट्ठ. 2.195. अभिसमेति' अभि + सं+ (इ का वर्त., प्र. पु.. ए. व., शा. अ. किसी के पास ठीक से जा पहुंचता है, ला. अ. ठीक से समझता है, अच्छी तरह से जान जाता है-न्ति प्र. पु.. ब. व. - ये च तं सुत्वा धम्म अभिसमेन्ति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).201; - न्तेन वर्त. कृ., पु., तृ. वि., ए. व. - सच्छिकिरियाभिसमयवसेन अभिसमेन्तेन विसयतो किच्चतो च आरम्मणतो च ... पटिविद्धं, उदा. अट्ठ. 319; - मेसि For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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