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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभिरोपेति 500 अभिलिम्पति आत्मने. - न दानाहं तया सद्धिं संवासमभिरोचये, जा. अट्ठ. 3.165. अभिरोपेति अभि + रुह का वर्त, प्र. पु., ए. व., प्रेर. [अभिरोपयति], शा. अ. पौधे रोपता है, पौधा लगाता है, ला. अ. क. अलङ्करण के रूप में धारण करता है या अपने ऊपर रखता है - पेहि अनु., म. पु., ए. व. - कासिकसुखुमानि धारय, अभिरोपेहि च मालवण्णकं थेरीगा. 379; अभिरोपेहीति मण्डनविभूसनं वा सरीरं आरोपय, थेरीगा. अट्ठ. 277; ला. अ. ख. उपहार के रूप में सामने रखता है या प्रस्तुत करता है, पूजा सामग्री के रूप में चढ़ाता है - यिं अद्य, उ. पु.. ए. व. - तिसकप्पसहस्सम्हि यं पुप्फमभिरोपयिं अप. 1.96; - पित त्रि., भू. क. कृ. - तं नपुं॰, प्र. वि., ए. व. - बरं मे बुद्धसेट्ठस्स, जाणम्हि अभिरोपितं, अप. 2.186. अभिलक्खित त्रि०, अभि + लक्ख का भू. क. कृ. [अभिलक्षित], जाना गया, चिह्नित किया गया, सङ्केतित, देखा गया - तो पु., प्र. वि., ए. व. - अज्ज अभिलक्खितो महाउपोसथदिवसो, जा. अट्ट, 4.2: - ता स्त्री., प्र. वि., ब. व. - यंनूनाहं या ता रत्तियो अभिजाता अभिलक्खिता, म. नि. 1.27; - तेसु पु., सप्त. वि., ब. व. - अातुच्छेनाति अभिलक्खितेसु इस्सरजनगेहेसु .... स. नि. अट्ठ. 2.211; -- त्त नपुं॰, भाव. [अभिलक्षितत्व], सङ्केतित होना, अभिलक्षित होना, दृष्टिपथ में आ जाना - त्ता प. वि., ए. व. - तेसं अभिलक्खितत्ता अयं पदेसो कामावचरो त्वेव उच्चति,ध. स. अट्ठ. 108. अभिलङ्गति/अभिलङ्घति अभि + Vलङ्घ का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अभिलङ्घति], लांघ जाता है, ऊपर की ओर उठता या चढ़ता है - पुण्णचन्दमिथुनं पुब्बापरियेन गगनतलं अभिलङ्गती ति, दी. नि. अट्ठ. 2.189; - मानं वर्त. कृ., पु.. द्वि. वि., ए. व. - विसुद्ध गगनतलं अभिलङ्घमानं चन्दमण्डलं दिस्वा ..., जा. अट्ठ. 7.102. अभिलपीयति अभि + Vलप का वर्त.. प्र. पु., ए. व., कर्म. वा. [अभिलप्यते], कहा जाता है, उच्चारित किया जाता है, घोषित किया जाता है - उदीरियति अभिलपीयती ति अत्थो ति वदन्ति, सद्द. 2.543. अभिलम्बति अभि + Vलम्ब का वर्त, प्र. पु., ए. व. [अभिलम्बति], सहारे खड़ा या टिका रहता है, दोनों ओर अवस्थित रहता है - न्ति ब. व. - उभतो अभिलम्बन्ति, दुग्गं वेतरणिं नदि, जा. अट्ठ. 5.261; - न्ता वर्त. कृ., पु.. प्र. वि., ब. व. - उभतो अभिलम्बन्ता, सोभयन्ति ममस्सम अप. 1.12; - न्तं वर्त. कृ., पु.. वि. वि., ए.व. - पपातमभिलम्बन्तं, सम्पन्नफलधारिन, जा. अट्ठ. 5.64; - म्बिता स्त्री., भू. क. कृ., प्र. वि., ए. व., केवल स. उ. प. के रूप में, नीलदुमा., नीले वृक्ष की डाली पर लिपटी हुई या चिपकी हुई - सा सुत्तचा नीलदुमाभिलम्बिता, जा. अट्ठ. 5.402. अभिलसति अभि + Vलस का वर्त, प्र. पु., ए. व., कामना करता है, इच्छा करता है - न्तो वर्त. कृ., पु.. प्र. वि., ए. व. - कत्तुं अभिलसन्तो पि राजा एवं अचिन्तयि, चू, वं. 81.64. अमिलाप पु.. [अभिलाप]. कथन, उल्लेख नाम, अभिव्यक्ति, उक्ति- सङ्घा समा... नामधेय्यं निरुत्ति व्यञ्जनं अभिलापो, ध. स. 1314; - पे सप्त. वि., ए. व. - तस्सा अभिलापे तं सभावनिरुत्तिं सदं आरम्मणं कत्वा ..., विभ. अट्ठ. 366; -- नानत्त नपुं, अभिव्यक्ति की विविधता या विभिन्नता - त्तेन तृ. वि., ए. व. - नानज्झासयताय पन सत्तानं देसनाविलासेन अभिलापनानत्तेन देसनानानत्तं वेदितब्बं उदा. अट्ट. 48; - मत्त नपुं., केवल अभिव्यक्ति का एक तरीका - त्तं प्र. वि., ए. व. -. अभिलापमत्तमेव चेतं, अत्थतो पन पितामहायेव पितामहयुगं, सु. नि. अट्ठ.2.166; - मत्तभेद पु.. केवल अभिव्यक्ति या कथन का एक रूपान्तरण या प्रभेद - दो प्र. वि., ए. व. - एकं समयान्ति वा अभिलापमत्तभेदो एस, सब्बत्थ भुम्ममेव अत्थोति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).13. अभिलाव पु. [अभिलाव, काटना, कटाई, लवन - लवोभिलवो लवनं, अभि. प. 770; पाठा. अभिलवो. अभिलास पु.. [अभिलाष], आकांक्षा, इच्छा, कामना, उत्कण्ठा, अनुराग - पिहा मनोरथो इच्छा भिलासो कामदोहळा, अभि. प. 163; केवल स. उ. प. के रूप में फातिकरणा., विमुत्ता., सजाता. के अन्त. द्रष्ट... अभिलासी त्रि., [अभिलाषिन्], कामना या इच्छा करने वाला, चाहने वाला, केवल स. उ. प. के रूप में - सककम्मामिलासिनो पु., प्र. वि., ब. व., अपने काम को पूरा करने की अभिलाषा रखने वाले - पटिपूजेन्ति पुलिनं. सककम्माभिलासिनो, अप. 2.65. अभिलित्त अभि + लिप का भू. क. कृ. [अभिलिप्त]. शा. अ. पूर्ण रूप से लीपा हुआ या पोता हुआ, ला. अ. अनुरक्त, आसक्त, लगावयुक्त - त्तो पु.. प्र. वि., ए. व. - लोको अभिलित्तो नाम भवति, नेत्ति. 13. अभिलिम्पति अभि + लिप का वर्त.. प्र. पु.. ए. व.. चिपका देता है, सटा देता है, शिकार को फंसाता है या उसे फंसाने For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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