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अभिनन्दति
अभिनन्दति अभि + √नन्द का वर्त. प्र. पु. ए. व. [ अभिनन्दति ] क इच्छा करता है, अभिकांक्षा करता है, आनन्दमिश्रित राग रखता है रूपं अभिनन्दति अभिवदति
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स. नि. 2 ( 1 ). 13; अभिनन्दतीति पत्थेति, स० नि० अ० 2.230; सो तं वेदनं अभिनन्दति अभिवदति अज्झोसाय तिद्वति म. नि. 1.338 न्दामि उ. पु. ए. व. नाभिनन्दामि मरणं .... थेरगा. 196 तत्थ नाभिनन्दामि मरणन्ति मरणं न अभिकङ्क्षामि थेरगा, अट्ट. 1.347 न्ति प्र. पु. ब. व. अज्झत्तिकबाहिरे आयतने अभिनन्दन्ति अभिवदन्ति अज्झेसाय तिवन्ति नि. प. 72 दितुं निमि. कृ. यदनिच्यं तं नालं अभिनन्दितुं नालं अभिवदितुं नाल अज्झोसितु न्ति, म. नि. 3.47; ख. उठकर और आगे बढ़कर ( आने वाले का स्वागत करता है, शिष्टाचार के रूप में प्रणाम अभिवादन करता है या कुशल- मङ्गल पूछता है- आगतं अभिनन्दति, जा० अट्ठ. 4. 177; ब. व॰ प्रतिमित्ता सुहज्जा ब अभिनन्दन्ति आगतन्ति प. प. 219 अभिनन्दन्ति आगतन्ति नं दिस्वा गेहसम्पत्तं पन नानप्पकारपण्णकाराभिहरणवसेन अभिनन्दन्ति, ध. प. अड. 2.171; ग. बहुत अच्छा है' या 'साधु साधु' कह कर किसी के द्वारा कथित कथन पर आनन्द भरी प्रतिक्रिया प्रकट करता है, 'साधु साधु' कहकर अनुमोदन करता है न्दि अद्य.. प्र. पु. ए. व. भगवतो भासितं अभिनन्दीति म.नि. 1.117; न्दिं अद्य, उ. पु. ए. व. भासितं नेव अभिनन्दि नप्पटिक्कोसिं दी. नि. 1.48; न्दु / न्दिंसु अद्य., प्र. पु. ब. व. अभिनन्दन्ति अनुमोदिंसु चेव सम्पटिच्छिंसु च दी. नि. अ. 1.110 न्दित्वा पू. का. कृ. - भासितं अभिनन्दित्वा अनुमोदित्वा उहायासना पक्कामि, दी. नि. 2.59 - न्दितब्बं नपुं. सं. कृ. - तस्स, भिक्खये भिक्खुनो भासित नेव अभिनन्दितव्यं नप्पटिकोसित दी. नि. 2.94; नेव अभिनन्दितब्बन्ति दुतुट्ठेहि साधुकारं दत्वा पुब्बेव न सोतब्बं दी. नि. अड्ड. 2139: घ. अनुग्रह या कृपा करता है न्दतु अनु. प्र. पु. ए. व. अभिनन्दतु, भन्ते भगवा भिक्खुसङ्ग म. नि. 2.130; ख. आनन्दित या सन्तुष्ट होता है - न्दिंसु अद्य., प्र. पु. ब. व. 4. मातापितरोधि अभिनन्दिसु दी. नि. 2.259; अभिनन्दिसूति तुस्सिंसु, दी. नि. अट्ठ. 2.362. अभिनन्दन नपुं. अभिनन्द से व्यु क्रि. ना. [अभिनन्दन] प्रहर्षण, अभिवादन, स्वागत करना, प्रशंसा करना, अनुमोदन नं हि. वि. ए. व. मज्ञनं अभिनन्दनञ्च यत्या....
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अभिनव
मञ्ञति, म.नि. अट्ठ. (मू०प०) 1 ( 1 ). 32 - नाय च. वि., ए. व. अभिनन्दनाय सन्तिके, म. नि. 2.81; रसा स्त्री. आनन्द उत्पन्न कराने का कार्य करने वाली हेतुभावलक्खणा तन्हा अभिनन्दनरसा, उदा. अह. 35: बसेन पु.. तृ. वि.. ए. व. आनन्द लेने के कारण, अभिनन्दन हेतु तेसु कामानं अभिनन्दवसेन... कामवितक्को, उदा. अड. 177 - सो पु. प्र. वि. ए. व. अभिनन्दन शब्द - अयहि अभिनन्दसो अभिनन्दति अभिवदती ति आदीसु तण्हायम्पि आगतो. दी. नि. अट्ठ. 1.110; - सीला पु०, प्र. वि., ब.व. अभिनन्दन या आनन्दानुभूति की प्रकृति वाले कामस्सादाभिनन्दिनोति कामगुणेसु... अभिनन्दनसीला, पे.
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व. अट्ठ. 227.
अभिनन्दना स्त्री, अभिलाषा, कामना, तृष्णा
ना प्र. वि.
ए. क. या काचि कट्ठा अभिनन्दना वा स. नि. 1 ( 1 ) 211: अभिनन्दनाति अभिनन्दनवसेन तण्हाव बुत्ता स. नि. अड्ड. 1.234; नाय तृ. वि., ए. व. अभिवदतीति ताय अभिनन्दनाय स. नि. अड. 2.230. अभिनन्दित त्रि., [अभिनन्दित] स्वागत किया गया, सत्कृत, चाहा गया, प्रार्थित, आनन्द के साथ अनुभूत तो पु०, प्र० वि., ए. व. देवलोकेन अभिनन्दितो हुत्वा... जा. अड. 4.245 - तं नपुं. प्र. कि. ए. व. बालानं अभिनन्दितं थेरगा. 394; बालानं अभिनन्दितन्ति बालेहि... अहं मम न्ति अभिनिविस्स नन्दितं, थेरगा. अट्ठ. 2.80. अभिनय पु. [ अभिनय ] हाव-भाव, अङ्गविक्षेप, नाटकीय प्रदर्शन, किसी मनोभाव या आवेश को दृष्टि संकेत या मुद्रा आदि से प्रकट करना अभिनयो सुच्चसूचन अभि. प. 101. अभिनव त्रि, [अभिनव], बिल्कुल नया, महार्घ, ताजा, तुरन्त प्राप्त अतिरिक्त रूप में प्राप्त, दूसरे या पुराने से अलग हटकर कुछ और वो पु. प्र. वि. ए. व. पच्चग्यो नूतनो भिनवो नवो, अभि. प. 713: अभिनवो नयो उदपादि, म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.7 - वं नपुं. प्र. वि., ए. व.
पथ्यग्यन्ति अभिनवं महग्धं वा पे. व. अड्ड. 76करण नपुं. नवीनीकरण, पुनरुज्जीवित करना, पुनः प्रारम्भ करना बसेन तृ. वि. ए. व. अभिनवकरणवसेनाति तणे करियमान विय अत्तानं अभिनवकरणवसेन, अभि. ध. वि. टी. 169 बहूर पु.. सर्वथा नवीन अंबुआ या कल्ला. नया अंकुर रा प्र. वि. ब. व. महाबोधिस्स अभिनवरा पातुरहेसु पारा अड. 1.67 चुल्लनिरुति स्त्री. सिरिसद्धम्मालंकार द्वारा विरचित व्याकरणग्रन्थ का शीर्षक
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