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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 277 अनुमति अनुमासं उ. प. के रूप में द्रष्ट., अननु., वद्धानु., वुद्धानु. के अदिट्ठजोतनापुच्छा, ... अनुमतिपुच्छा, कथेतुकम्यतापुच्छाति, अन्त.. ध. स. अट्ठ. 101; अयहि पुच्छा ... अत्थरस महाथेरस्स अनुमति स्त्री., अनु + /मन से व्यु. [अनुमति], स्वीकृति, ..... समुग्धातितसंसयत्ता, अनुमतिपुच्छापि न होति, वि. व. अनुमोदन, आज्ञा, सहमति - अनुमतिपक्खाति अनुमतिया। पक्खा, अनुमतिदायकाति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 1.240; - अनुमदस्सिक त्रि., कुछ संस्करणो में अनोमदस्सिक के या' तृ. वि., ए. व., आज्ञा से, अनुमति से - इमं यक्खं अप. के रूप में प्राप्त, द्रष्ट. अनोमदस्सिक के अन्त.. याचित्वा तस्स अनुमतिया वा, सचे सञत्तिं न गच्छति, पे. अनुमरति अनु + vमर का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुम्रियते], व. अट्ठ. 100; - या च. वि., ए. व., अनुमोदन के लिये पीछे या बाद में मरता है - यं अनुमीयतीति यं रूपं येन - भगवा भिक्खूनं अनुमतिया पहं पुच्छति, दी. नि. अट्ठ. अनुसयेन अनुमरति, स. नि. अट्ठ. 2.235. 1.64; स. उ. प. के रूप में द्रष्ट, आवासानु., आसिट्ठानु... अनुमसि अनु + मस का अद्य.. प्र. पु.. ए. व. [अन्वमाीत]. यथानु, सम्बुद्धनु. के अन्त; - कप्प पु.. शा. अ. कल्पित स्पर्श किया, छू दिया - जिहं निन्नामेत्वा उभोपि कण्णसोतानि अनुमोदन, ला. अ. भिक्षुसङ्घ की पूर्ण बैठक द्वारा अनुमोदन ... नासिकसोतानि अनुमसि पटिमसि, दी. नि. 1.92; सु. नि. कर दिये जाने की प्रत्याशा में केवल कुछ एक भिक्षुओं द्वारा पृ. 167; अनुमसीति कथिनसूचिं विय कत्वा अनुमज्जि, किया गया किसी सङ्घकर्म का अनुमोदन - कप्पति तथाकरणेन चेत्थ मुदुभावो, दी. नि. अट्ट. 1.223; - अनुमतिकप्पो, चूळव. 463; कप्पति अनुमतिकप्पोति अनागतानं मस्स/मास्स पू. का. कृ. [अनुमृश्य], शा. अ. स्पर्श आगतकाले अनुमतिं गहेस्सामी ति तेसु अनागतेसुयेव वग्गेन करके, केवल स्पर्शमात्र के द्वारा, ला. अ. गम्भीर विचार सङ्घन कम्म कत्वा पच्छा अनुमतिं गहेतुं कप्पति, सारत्थ. टी. करके, सोच करके, परामर्श करके - यस्स वियू सब्रह्मचारी 1.100; छन्दारहानं सन्तिका अनाहटे येव छन्दे वग्गेन सत्थु सम्मुखा अनुमस्स अनुमस्स वण्णं भासन्ति, म. नि. भिक्खुसङ्घन उपोसथादिकम्म कत्वा पच्छा तेसमनुमतिं गण्हितुं ____1.201; अनुमस्स अनुमस्साति दस कथावत्थूनि अनुपविसित्वा वट्टतीति इमं अनुमतिकप्पं च, म. वं. टी. 123(ना.); - अनुपविसित्वा, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).52. गहण नपुं., तत्पु. स. [अनुमतिग्रहण], अनुमति अथवा अनुमान नपुं., अनु + vमा से व्यु. [अनुमान], यथार्थ ज्ञान स्वीकृति की प्राप्ति, अनुमोदन का मिल जाना - तं किं के साधनों या प्रमाणों में से एक, अनुमान, निष्कर्ष, अटकल, मञ्जसि राजा तिआदीसु विय अनुमतिगहणाकारेन अन्दाजा, समानता - धम्मन्वयोति पच्चक्खञाणसङ्घातस्स अप्पवत्तत्ता, वि. व. अट्ठ. 14; एवं नोति ... सन्निट्ठानजननत्थं धम्मस्स अनुनयो अनुमानं, अनुबुद्धीति अत्थो, म. नि. अट्ठ. अनुमतिग्गहणवसेन नो वा कथं वो एत्थ होती ति ... (म.प.) 2.251; - नेन तृ. वि., ए. व., अनुमान के द्वारा - आविकतं, उदा. अट्ठ.8; - दायक त्रि., [अनुमतिदायक], अनुमानेन आतब्ब, अत्थि सो द्विपदुत्तमो ति, मि. प. 301; अनुमति अथवा स्वीकृति देने वाला, अपना अनुमोदन प्रदान .... अनुमानेन जानन्ति छेको वत भो सो नगरवड्डकी, मि. प. करने वाला - अनुमतिपक्खाति अनुमतिया पक्खा, 302; गरूपदेसं लद्धेन अनुमानेन वेदियं सद्धम्मो. 74; - अनुमतिदायकाति अत्थो, दी. नि. अट्ठ. 1.240; - पक्ख पु., पञ्ह नपुं.. मि. प. के पांचवें परिच्छेद का शीर्षक, जिसमें तत्पु. स. [अनुमतिपक्ष], अनुमति देने वाला वर्ग या समूह, कुल 4 वग्ग और 33 प्रश्न अन्तर्भूत है, मि. प. 223-3163B अनुमति-समर्थक दल - इतिमे चत्तारो अनुमतिपक्खा तस्सेव - बुद्धि स्त्री., तत्पु. स. [अनुमानबुद्धि], अनुमान के द्वारा यञ्जस्स परिक्खारा भवन्ति, दी. नि. 1.121; 1263; प्राप्त निष्कर्ष - अनुमानबुद्धिया पन कतकिरियाय नयग्गाहेन अनुमतिपक्खाति अनुमतिया पक्खा, अनुमतिदायकाति अत्थो, जानाति, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).68; - सुत्त नपुं.. म. दी. नि. अट्ठ. 1.240; - पुच्छा स्त्री., तत्पु. स. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, म. नि. 1.133-144; अपिचरस [अनुमतिपृच्छा, सभी की स्वीकृति को जानने की दृष्टि से अनुमानसुत्तं, चूळतण्हासङ्घयसुत्तं ... विमानवत्थु पेतवत्थु... कनिष्ठ भिक्षु से प्रारम्भ कर वरिष्ठतम भिक्षु तक से किया महन्तभावो वेदितब्बो, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).144गया प्रश्न, पांच प्रकार की पृच्छाओं में से एक - अपिच अनुमतिपुच्छा नामेसा खुद्दकतो पट्ठाय पुच्छितब्बा होति, म. अनुमासं अ., क्रि. वि. [अनुमास], प्रत्येक महीने में, एकनि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).149; पञ्चविधाहि पुच्छा - एक महीने में - दीघायुकबुद्धकाले च अनुसंवच्छरं वा 145. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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