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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनुपादान अनुपादानो, सतो भिक्खु परिब्बजे, सु. नि. 756: निब्बायि अनुपादानो, दीपोव तेलसङ्ख्या, अप. 1.99; 2.110; सउपादानस्स उपपत्तिं पञपेमि नो अनुपादानस्स. स. नि. 2(2).364. 262 अनुपादान' नपुं, उपादान का निषे० तत्पु० स० [ अनुपादान ], उपादानों का अभाव, राग से रहित स्थिति, अनासक्ति, बन्धनभूत संभारों या संसाधनों की अविद्यमानता - अनुपादानाय धम्मो देखितो पारा 20 148; अनुपादानायाति अग्गहणत्थाय पारा. अड. 1.167; अनुपादानाय सन्तिकेति म. नि. 2.81; 177. अनुपादानिय त्रि उपादानिय का निषे [ अनुपादानीय]. आसक्ति या राग आदि का अविषयीभूत, भवबन्धनों में न बांधे जाने योग्य, उपादानों का अविषय कतमे धम्मा अनुपादानिया? अपरियापन्ना मग्गा च मग्गफलानि च असङ्गता च धातु इमे धम्मा अनुपादानिया, ध. स. 1226; 1556. अनुपादाय / अनुपादा अ, उप + आ + √दा के पू० का. कृ. उपादाय का निषे [ अनुपादाय] चारों उपादानों से मुक्त होकर, सांसारिक आसक्तियों से विलग होकर अनुपादाय अनिस्सितो कुहिञ्च सु. नि. 365; अनुपादायाति चतुहि उपादानेहि कञ्चि धम्मं अग्गहेत्वा सु. नि. अह. 2.86; ... बहिद्धा चस्स विञ्ञाणं अविक्खित्तं ... अनुपादाय न परितस्सेव्य इतिदु 67: तस्स भिक्खुसहस्सस्स एवं अनुसासियमानानं अनुपादाय आसवेहि चित्तानि विमुच्यिंसु पारा 9; महाव. 19; 21; सुत्त नपुं, स. नि. के मग्गसंयुक्त्त के आठवें सुत्त का शीर्षक, स. नि. 3 ( 1 ) 26. अनुपादिण्ण / अनुपादिन्न त्रि उपादिन्न का निषे. [बी. सं. अनुपात्त], शा. अ. वह जो उपादानों पर आश्रित नहीं है, ला. अ. 28 प्रकार के रूपों में प्रथम 18 रूपों को छोड़कर शेष 10 प्रकार के रूप कर्म नामक उपादान के आश्रय के बिना उत्पन्न होने से अनुपादिन्न है अनुपादिन्नेसु हि जातिभेदे गहिते उपादिन्नेसु सो पाकटतरो होति, सु. नि. अ. 2.167; बहिद्धारूपेति बहिद्धा उपादिन्ने वा अनुपादिन्ने वा. पारा. 150; अनुपादिन्नेति ताळच्छिहादिभेदे पारा. अड्ड. 2.100; कम्मजं उपादिन्नरूपं, इतरं अनुपादिन्नरूपं, अभि. ध. स. 44; कम्मतो जातं अहारसविधं उपादिन्नरूपं इतर अग्गहितग्गहणेनदसविधं अनुपादिन्नरूप अभि. थ. वि. 181 सहायतनं कायविज्ञति वचीविञ्ञत्ति रूपस्स लहुता रूपस्समुदुता रूपस्स कम्मञ्ञता रूपस्स जरता , - अनुपादिसेस रूपस्स अनिव्यता, यं वा पनज्ञम्पि अत्थि रूपं न कम्मस्स कतत्ता रूपायतनं गन्धायतनं रसायतनं फोट्टब्बायतनं आकासधातु आपोधातु रूपस्स उपचयो रूपरस सन्तति कबळीकारो आहारो इदं तं रूपं अनुपादिण्णं ध. स. 663 कत्रि, अनुपादिण्ण से व्यु., [बौ. सं. अनुपात्तक], कर्म आदि कारणों का आश्रय लिये बिना प्रकट होने वाले आकाश आदि रूप, वृक्ष, पौधे आदि पर आश्रित न रहने वाले रूपस्कन्ध आदि तं दुविधं होति उपादिन्नक' अनुपादिन्नकन्ति ध. स. अट्ठ. 275 अनुपाविन्नकानं ताव कथेत आरो सु. नि. अड. 2.167; अनुपादिन्नकापि आहारा मिस्सेत्वा कथिता, म० नि० अट्ठ (मू०प०) 1 ( 1 ) . 222; अनुपादिन्नकं मुञ्चित्वा उपादिन्नकं गण्हाति, म.नि.अ. (मू.प.) 1 ( 1 ) 287 - दिण्णानुपादानिय उपादानों पर आश्रित न रहने वाले मार्ग, फल एवं निर्वाण, जो न अन्य उपादानों पर आश्रित हैं और न स्वयं तृष्णा आदि के उपादान है अपरियापन्ना मग्गा च मग्गफलानि च असङ्गता च धातु इमे धम्मा अनुपादिष्णअनुपादानिया, ध. स. 996 किञ्चापि खीणासवस्स खधा परेसं उपादानस्स पच्चया होन्ति, मग्गफलनिब्यानानि पन अग्गहितानि अपरामद्वानि अनुपादिष्णानेव तानि हि यथा दिवस सन्तत्तो अयोगुळो मक्खिकानं अभिनिसीवनरस पच्चयो न होति. एयमेव तेजुस्सदत्ता तण्हामानदिद्विवसेन गहणस्स पच्चया न होति तेन युत्तं इमे धम्मा अनुपादिण्ण अनुपादानियाति ध. स. अड 377 दिष्णुपादानिय त्रि. कामावचर, रूपावचर और अरूपावचर भूमियों के आसवयुक्त कुशल एवं अकुशल धर्म, तथा वेदनास्कन्ध आदि उपादान होने योग्य हैं परन्तु जो क्रियाचित्त हैं, जो धर्म न कुशल है न अकुशल है, न कर्मों के विपाक हैं और कर्म द्वारा उत्पन्न न होने वाला रूप उपादानों पर आश्रित नहीं है, अतः इन धर्मों में कुछ अनुपादिन्न हैं जबकि कुछ उपादान बनने योग्य हैं - सासवा कुसलाकुसला धम्माकामावचरा .... विञ्ञाणक्खन्धो, न च कम्मविपाका, यञ्च रूपं न कम्मरस कतत्ता इमें धम्मा अनुपादिष्णुपादानिया, ध. स. 995. अनुपादिसेस त्रि उपादिसेस का निषे [बी. सं. अनुपधिशेष ] क. पांच उपादान स्कन्धों से मुक्त या रहित, समस्त उपादानों या लगावों से रहित (निर्वाण ) तेस पनेके समयं वदन्ति अनुपादिसेसे कुसला वदाना सु. नि. 882; यो चस्स समुदयष्यहानेन उपहतायतिकम्मफलस्स चरिमचित्ततोच उन्हें पवत्तिखन्धानं अनुप्पादनतो, - For Private and Personal Use Only - - - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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