SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 279
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 252 अनुपक्खिपत्वा उठता है, छलांग लगाते हुए अनुगमन करता है, आगे बढ़ता है, ला. अ. अवहेलना करता है - भवं सोणदण्डो समणस्सेव गोतमस्स वादं अनुपक्खन्दती ति, दी. नि. 1.107; अनुपक्खन्दतीति अनुपविसति, दी. नि. अट्ट, 1.234. अनुपक्खिपत्वा अनु + प + खिप का पू. का. कृ. [अनुप्रक्षिप्य], अन्दर, भीतर में या बीच में रखकर - अन्तरसथिम्हि नछुटुं अनुपक्खिपित्वा, अ. नि. 1(2).280; नढ अन्तरसथिम्हि पक्खिपित्वा ..., अ. नि. अट्ट, 2.392. अनुपखज्ज अनु + प+ खन्द का पू. का. कृ. [बौ. सं. अनुप्रस्कद्य]. 1. अन्यों की उपेक्षा कर अपने को बलपूर्वक आगे करके, अनुचित रूप से अनुप्रवेश करके - अथ खो छब्बग्गिया भिक्खू थेरे भिक्खू अनुपखज्ज सेय्यं कप्पेन्ति, पाचि. 63; अनुपखज्जाति अनुपविसित्वा, पाचि. 64; कथं हि नाम छन्नो भिक्खु भिक्खुनीनं अनुपखज्ज भिक्खूहि सद्धि विवदिस्सति, चूळव. 195; 2. अतिक्रमण करके, रौंद कर, कुचल कर, उपेक्षा या अवज्ञा कर - अनुपखज्ज मुच्छिता भोजनानि भुञ्जमाना मदं आपज्जिस्सन्ति, म. नि. 1.2093; यंनूनाहं अनुपखज्ज जीविता वोरोपेय्यान्ति, स. नि. 2(1).103; अनुपखज्जाति अनुपविसित्वा, स. नि. अट्ठ. 2.274; - कथा स्त्री., विन. वि. के एक खण्ड का शीर्षक, विन. वि. गा. 1089-1099; - सिक्खापद नपुं.. पाचि. के एक खण्ड का शीर्षक, पाचि. 63-64. अनुपखज्जन्त उप + Vखन्द के वर्त. कृ. का निषे., अतिक्रमण न करते हुए, अवज्ञा न करते हुए - थेरे भिक्खू अनुपखज्जन्तेन, परि. 311. अनुपगच्छति अनु + प + गम का वर्त., प्र. पु., ए. व. [अनुप्रगच्छति, विलीन हो जाता है, निकट पहुंच जाता है, संक्रमण कर जाता है, प्रवेश कर जाता है - पथवी पथवीकार्य अनुपेति अनुपगच्छति, म. नि. 2.193; अनुपेतीति अनुयायति अनुपगच्छतीति तस्सेव वेवचनं अनुगच्छतीतिपि अत्थो , दी. नि. अट्ट, 1.137. अनुपगत त्रि., उपगत का निषे. [अनुपगत], समीप तक न पहुंचा हुआ, अप्राप्त, किसी काम के पीछे न लगा हुआ - अनपायोति पटिघवसेन अनपगतो, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.61; पाठा. अनुपगतो. अनुपगमन 1. नपुं., उपगमन का निषे. [अनुपगमन]. [पहुचना, निकटता का अलाभ - चक्खुविाणरस आपाथं अनुपगमनतो अनिदस्सनं नाम, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(2).306; 2. त्रि., ब. स., समीप तक न पहुंचने वाला, अनुपजग्घति निकटता को अप्राप्त - अनुपायोति रागवसेन अनुपगमनो हुत्वा, म. नि. अट्ठ. (उप.प.) 3.61. अनुपगमनीय त्रि., उपगमनीय का निषे. [अनुपगमनीय], समीप न पहुंचने योग्य, आश्रय न ग्रहण करने योग्य, वह, जिसको पकड़ना संभव न हो - पयोगासयविपन्नेहि अनुपगमनीयतो च केनचिपि अनासादनीयतो च दुरासदो, वि. व. अट्ठ. 180. अनुपगम्म/अनुपग्गम्म अ., उप + Vगम के पू. का. कृ. का निषे. [अनुपगम्य], पास न पहुंच कर, समीप में प्राप्त न होकर, आश्रय ग्रहण न कर, सहारा न लेकर, स्वीकार न कर - दिष्टिञ्च अनुपग्गम्म सीलवा दस्सनेन संपन्नो, सु. नि. 152; उभो अन्ते अनुपगम्म मज्झिमा पटिपदा तथागतेन अभिसम्बुद्धा, म. नि. 3.279; तिस्सो नदियो अनुपगम्म ... महासमुदं पविसति, उदा. अट्ठ. 245. अनुपचार पु., उपचार का निषे०, सुदूर, असमीपता, असामीप्य, निर्जनता, पास-पड़ोस या अड़ोस-पड़ोस का न रहना - मनुस्सानं अनुपचारद्वानं यत्थ न कसन्ति न वपन्ति, तेनेवाह - वनपत्थन्ति दूरानमेत सेनासनानं अधिवचनान्तिआदि, दी. नि. अट्ठ. 1.171. अनुपचित त्रि., उपचित का निषे. [अनुपचित], पुजीभूत या राशीकृत न किया हुआ, अराशीकृत, असञ्चित, अपुञ्जित - तत्थ अकतेनाति अनिब्बत्तितेन अत्तना अनुपचितेन, पे. व. अट्ठ. 131; - कुसलसम्भार त्रि., ब. स., पुण्यकर्मों को सञ्चित न किया हुआ - ससादीहि विय महासमुद्दो अनुपचितकुसलसम्भारेहि अलभनेय्यप्पतिवा दुप्परियोगाहा च, उदा. अट्ठ. 10; - जाणसम्भार त्रि., ज्ञान की सम्पदा को सञ्चित न करने वाला - तत्थ दुद्दसन्ति सभावगम्भीरत्ता अतिसुखुमसण्हसभावत्ता च अनुपचितञाणसम्भारेहि पस्सितुं न सक्काति दुद्दसं, उदा. अट्ठ. 319. अनुपचिनन्त त्रि., उप + चि के वर्त. कृ. का निषे., संग्रह या सञ्चय नहीं करने वाला - तत्थ अनुपचिनन्ताति सिनेहेन आलयवसेन अनोलोकेन्ता, जा. अट्ठ. 5.333. अनुपच्छिन्न त्रि., उपच्छिन्न का निषे. [अनुपच्छिन्न]. व्यवधान या अन्तराल से रहित, अव्यवहित, क्रमभङ्गरहित, अबाधित अनवरुद्ध - पच्छा भुसत्थ सादिस्सानुपच्छिन्नानु वत्तिसु, अभि. प. 1174; तत्थ अनुगते अन्वेति, अनुपच्छिन्ने अनुसयो, सद्द. 3.883. अनुपजग्घति अनु + प + /जग्घ का वर्त, प्र. पु.. ए. व., हँसता है, ठठाकर हँसता है, ठिठोली करता है, मजाक For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy