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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनादिकाल 212 अनानुगिद्ध अनादिकाल पु./त्रि., स. प. के पू. प. के रूप में ही प्रायः अनादीनवदस्सावी त्रि, [अनादीनवदर्शी], उपरिवत् - प्रयुक्त [अनादिकाल], क. काल की वैसी स्थिति, जिसके अनादीनवदरसावी, सो दुक्खा न हि मुच्चति, थेरगा. 730प्रारम्भिक छोर का पता न हो, सुदीर्घकालावधि, ख. निषे०, 731; अनादीनवदस्सावीति यो ... इट्ठानिढेसु रूपायतनेसु ब. स., वह, जिसके लिये काल का कोई प्रारम्भिक क्षण .... यथारुचि पवत्तन्तं चक्खुन्द्रियं अनिवारयं ... आदीनवं विद्यमान न हो, आदिरहित, नित्य, शाश्वत, अनादिकाल दोसं न पस्सति, थेरगा. अट्ठ. 2.234. से चला आ रहा, - ता स्त्री., भाव., शाश्वतता, नित्यता, अनादीनवदस्सिता स्त्री., भाव., निषे०, तत्पु. स. चिरन्तनता - तेसं विसयेसु ... सत्ता विपुलविसयताय [अनादीनवदर्शिता], कामसुखों में आनन्द एवं कुशलता को अनादिकालताय च ..., उदा. अट्ठ. 297; - पवत्त त्रि., देखने की मनःस्थिति - ... कामेस अनादीनवदस्सितं अनादिकाल से चला आ रहा, अनादिकाल से प्रवर्तित - सब्बाकारतो विदित्वा ..., उदा. अट्ठ. 297. अनादिकालपवत्तं संसारचक्क, सु. नि. अट्ठ. 2.147; अनादेय्यवाचा स्त्री., कर्म. स., अग्राह्यवाणी, अस्वीकार्य अनादिकालपवत्ते दियड्डसहस्सकिलेसे .... उदा. अट्ठ. वाग्व्यवहार - यो सब्बलहुसो सम्फप्पलापरस विपाको, 273; - भावित त्रि. अनादिकाल से भावित - मनुस्सभूतस्स अनादेय्यवाचासंवत्तनिको होति, अ. नि. अनादिकालभावितेहि किलेसेहि आहितं, उदा. अट्ठ. 156. 3(1).79. अनादिण्ण त्रि., आदिण्ण का निषे. [अनादीर्ण], नहीं फटा । अनाधानगाही त्रि., आधानगाही का निषे., तत्पु. स. हुआ, अविदीर्ण, अखण्डित - अच्छिन्नं वा अनादिण्णं अनाधानग्राही], अपने किसी विशेष मत पर आग्रह न धारेन्तस्स, तिचीवरं विन. वि. 47. करने वाला, अनाग्रही- न सन्दिविपरामासी होति न अनादिन्नत्त नपुं॰, भाव., अनादिन्न से व्यु. [अनादत्तत्व], आधानग्गाही, दी. नि. 3.34; पाठा. अनाधानग्गाही; आधानं नहीं ग्रहण करने की स्थिति या अवस्था - विसमं अनादिन्नत्ता वुच्चति दळ्हं सुट्ट ठपितं, तथा कत्वा गण्हातीति समाधि, पटि. म. 44. आधानग्गाही, दी. नि. अट्ठ. 3.21; भिक्ख असन्दिद्विपरामासी अनादिमन्तु त्रि., [अनादिमत्]. प्रारम्भ-रहित, नित्य, शाश्वत, होति अनाधानग्गाही सुप्पटिनिस्सग्गी, म. नि. 1.137. चिरन्तन - अनादिमतिसंसारे, उदा. अट्ठ. 318. अनाधार त्रि., आधार का निषे०, ब. स. [अनाधार]. अनादियन नपुं, आदियन का निषे०, तत्पू. स., नहीं लिया आधाररहित, निराधार, आश्रयरहित, बेसहारा - कुम्भो जाना, अस्वीकरण, अग्रहण, तिरस्करण- अनादियनाकारो अनाधारो सुप्पवत्तियो होति, स. नि. 3(1).20; पत्ता अज्झोकासे वा अनादरता, ध. स. अट्ठ. 415; - नाकार पु., परामर्श के अनाधारा निक्खित्ता, चूळव. 231. अस्वीकरण की स्थिति - अनदायनाति अनादियनाकारो, अनानत्तकथिक त्रि.. नानत्तकथिक का निषे., तत्पु. स. विभ. अट्ठ, 471; - ता स्त्री., भाव., अस्वीकरण का भाव, [अनानात्वकथिक], बात को सीधे तौर पर कहने वाला, तिरस्क्रिया, उपेक्षाभाव - बुद्धादीनं वचनं अनादियनताय, घुमा-फिरा कर बात न करने वाला - अनानाकथिकोति सु. नि. अह. 2.212; - ना अनादियन का स्त्री., उपरिवत् अनानत्तकथिको होति. अ. नि. अट्ठ. 3.195... - अनद्दा ति अनादियना, विभ. अट्ठ. 471; - भाव पु., भाव., अनानाकथिक त्रि., निषे., तत्पु. स. [अनानाकथिक], बात उपरिवत् - वन्तोति इदं पुन अनादियनभावदरसनवसेन, को घुमा-फिरा कर न कहने वाला, सीधे रूप में कहने पारा. अट्ठ. 2.81. वाला, निरर्थक बात न कहने वाला - सजगतो खो पन अनादीनवदस्स त्रि., आदीनवदस्स का निषे०, तत्पु. स. अनानाकथिको होति अतिरच्छानकथिको, अ. नि. 3(1).4; [अनादीनवदर्शक], विपत्ति या संकट को न देखने वाला, अनानाकथिकेनाति नानाविधं तं तं अनत्थकथं अकथेन्तेन, दोषरहितता देखने वाला, किसी तरह का दोष न परि. अट्ठ. 208. समझने वाला - ... अनादीनवदस्सो पुराणदुतियिकाय अनानुगिद्ध त्रि., अनुगिद्ध का निषे०, तत्पु. स. [अनानुगृद्ध तिक्खत्तु मेथुनं धम्म अभिविआपेसि, पारा. 19; या अनानुगिद्ध], लोभरहित, लिप्सारहित, आसक्तिरहित, अनादीनवदस्सोति यं भगवा इदानि सिक्खापदं पञपेन्तो निरासक्त - निब्बानाभिरतो अनानुगिद्धो, सु. नि. 86; आदीनवं दस्सेस्सति, तं अपस्सन्तो अनवज्जसञी हत्वा, अनानुगिद्धोति कञ्चि धम्म तण्हागेधेन अननुगिज्झन्तो, सु. पारा. अट्ठ. 1.164. नि. अट्ठ. 1.129. For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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