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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अदिट्ठ/आद्दिट्ठ 152 अदीन जोतनादिवसेन पुच्छा विभजिता, सु. नि. अट्ठ. 2.254; तत्थ अहोसि, जा. अट्ठ. 1.360; - सहायक पु., तत्पु. स. पुच्छा नाम अदिट्ठजोतना पुच्छा..., दी. नि. अट्ठ. 1.64; - [अदृष्टसहायक, उपरिवत्-.. भद्दवतियसेटि नाम घोसकसेटिनो टि. तीन प्रकार की पृच्छा (प्रश्न) हैं:- 1. अदृष्टद्योतन । अदिट्ठपुब्बसहायको अहोसि,ध. प. अट्ठ. 1.109. प्रश्न, 2. दृष्टसंसन्दन प्रश्न, 3. विमतिच्छेदन प्रश्न, जिस अदिट्ठि स्त्री., दिट्ठि का निषे. [अदृष्टि], सम्यक्-दृष्टि का धर्म की प्रकृति का लक्षण अज्ञात, अदृष्ट एवं अस्पष्ट आदि अभाव - अदिहिया अस्सुतिया अजाणा, सु. नि. 845. है, उसके ज्ञान के लिए पूछा गया प्रश्न अदिट्ठजोतना कहा अदिति स्त्री., [अदिति], देवताओं की माता, जिनके पुत्र गया है, द्रष्ट. दी. नि. अट्ठ. 1.64; - त नपुं., भाव. आदित्य अथवा सूर्य भी हैं - देवमाता पनादिति, अभि. प. [अदृष्टत्व], अज्ञात अथवा अदृष्ट होने की अवस्था - 83, आदिच्चोति अदितिया पुत्तो..., दी. नि. अट्ठ. 3.132. अदिट्टत्ता, भिक्खवे, चतुन्न अरियसच्चानं, स. नि. 3.5163B अदिन्न ।दा के भू. क. कृ. का निषे. [अदत्त], नहीं दिया यथा ते भातरो ... किसुकस्स अदिट्टत्ता कहिंसु .... जा. हुआ, बिना अनुमोदन के ही ले लिया गया, चोरी-छिपे अट्ठ. 2.222; - न्तराय पु., तत्पु. कर्म. स. [अदृष्टान्तराय], ग्रहण किया गया - यो पन भिक्ख अदिन्नं थेय्यसवातं अनिर्दिष्ट या असंकेतित व्यक्ति के दान देने में उत्पन्न । आदियेय्य, पारा. 51; महाव. 123; ... थेय्या अदिन्नमादेति, विघ्न, अनिर्दिष्ट या अदृष्ट विघ्न-बाधा - चत्तारो खो सु. नि. 119; लोके अदिन्नमादीयति, ध. प. 246; - पुब्ब महाराज, अन्तराया अदिट्ठन्तरायो.... मि. प. 155; - टि. त्रि., [अदत्तपूर्व], वह जिसे पहले नहीं दिया गया है - अन्तराय चार प्रकार के हैं 1. अदिट्ट (अदृष्ट) अन्तराय, 2. अज्जाहं अदिन्नपुब्बं दानं दस्सामि, जा. अट्ठ. 3.46; - किसी को ध्यान में रखकर तैयार किये भोजन देने में विघ्न, पुब्बक पु., एक ब्राह्मण का नाम जिसने कभी भी किसी को 3. जो भोजन अप्रतिगृहीत है, उसकी प्राप्ति में विघ्न तथा कुछ भी नहीं दिया - सावत्थियं किर अदिन्नपुब्बको नाम 4. जो कुछ परिभोग है उसमें अन्तराय; द्रष्ट. मि. प. 155; ब्राह्मणो अहोसि. ध. प. अट्ठ. 1.16; - पुब्बककुल नपुं.. - पुब्ब त्रि., ब. स. [अदृष्टपूर्व], वह, जिसे पहले नहीं देखा कभी भी दान न करने वाला कुल - अदिन्नपुब्बककुले गया है, पूर्वकाल में न देखा गया - येहि ... भिक्खूहि देवा ___... होन्ति, सु. नि. अट्ठ. 1.264. तावतिंसा अदिठ्ठपुब्बा .... महाव. 308; ये ते चक्खुविधेय्या अदिन्नादान नपुं. तत्पु. स. अदिन्न + आदान [अदत्तादान], रूपा अदिट्ठा अदिठ्ठपुब्बा .... स. नि. 2(2).78; ... तस्सा न दी हुई वस्तु को ले लेना, चोरी, डकैती, घूसखोरी आदि वेळुवनं अदिठ्ठपुब्बं ... विय च अहोसि, ध, प. अट्ठ. 2.312; जिनमें स्वामी के अनुमोदन एवं सहमति के बिना उसके - वादी त्रि., [अदृष्टवादी], वस्तुओं या धर्मों को अज्ञात स्वत्व को ले लिया जाता है - अदिन्नादानं भिक्खवे बतलाने वाला, सब कुछ अज्ञात है, इस विचार का प्रतिपादक, आसेवितं ..., अ. नि. 3(1),78; अदिन्नादानं पहातब्बं ..., अदृष्ट तथ्यों, भाग्य या ईश्वर का प्रतिपादक - अदिढे म. नि. 2.26; अदिन्नादानं पहाय अदिन्नादाना पटिविरतो अदिट्ठवादी होति.... अ. नि. 1(2).259; - वादिता स्त्री., होति, दी. नि. 1.4; - टि. बुद्ध द्वारा प्रज्ञप्त पांच शिक्षापदों भाव., अदृष्टवादी मनोवृत्ति - दिढे अदिट्ठवादिता ..., अ. अथवा पञ्चसीलों में 'अदिन्नादान से पटिविरति' दूसरा नि. 3(1).131; - टि. यह आठ प्रकार के अनार्य-व्यवहारों शील कहा गया है. में से एक है, द्रष्ट. अनरियवोहार; - सच्च त्रि., ब. स. अदिन्नादायी त्रि., दिन्नादायी का निषे. [बौ. सं. [अदृष्टसत्य], सत्य को न देखने वाला, वह, जिसने सत्य अदत्तादायी], जो कुछ इच्छा और खुशी के साथ न दिया का ज्ञान नहीं पाया है - अदिवसच्चस्स पन गया हो उसे चोरी, लूट, बेईमानी आदि से ले लेने वाला पटिसन्धि नाम भारियाति .... ध. प. अट्ठ. 2.18; ... एतं - अहं ... अदिन्नादायी अस्सं .... म. नि. 2.26; ... अदिट्ठसच्चानं तासनीयवानं. मि. प. 149; - सहाय पु., अदिन्नादायी होति अब्रह्मचारी होति, महाव. 108.8; इध तत्पु. स. [अदृष्टसहाय], अपरिचित सहायक, जिसे पहले .... अदिन्नादायिनो, मि. प. 268. नहीं देखा है ऐसे व्यक्ति का साथी, अज्ञात, अपरिचित का अदीन त्रि., दीन का निषे. [अदीन]. वह जो दीन नहीं हैं साथी, अपरिचितों को साथ देने वाला - ... अवन्तिया अथवा जो पीड़ित अथवा निराश नहीं है - भद्दो आजओ इसिदत्तो नाम कुलपुत्तो अम्हाकं अदिट्ठसहायो ..., स. नि. .... अदीनो वहते धुरं थेरगा. 173; - मनस त्रि., दैन्यरहित 2(2).280; तस्स किरेको पच्चन्तवासिको सेट्ठि अदिवसहायो मन वाला - अदीनमनसो नरो, थेरगा. 243; अदीनमानसो, For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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