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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अतिदेव 109 अतिनिज्झायितत्त अतिदेवपत्तोति देवानं अतिदेवभावं ब्रह्मानं अतिब्रह्मभावं पत्तो, नानत्तनयस्सपि गहणेन तत्थ तत्थेव धावन्ति, इतिवु. अट्ठ. स. नि. अट्ठ. 1.182; - भाव पु., देवों से अधिक उत्तम 155; - न्तो वर्त. कृ., पु.. प्र. वि., ए. व. - अभिधम्मे अवस्था - ... देवानं अतिदेवभावं ..., स. नि. अट्ठ. 1.182. दुप्पटिपन्नो धम्मचिन्तं अतिधावन्तो अचिन्तेय्यानिपि चिन्तेति, अतिदेव' पु.. रेवत नामक बुद्ध के समय में ब्राह्मणकुलोत्पन्न ध. स. अट्ठ. 26; - वेय्य विधि., प्र. पु., ए. व. - समझें बोधिसत्त्व का नाम - तदा बोधिसत्तो अतिदेवो नाम ब्राह्मणो नातिधावेय्य, म. नि. 3.279; - वि अद्य., प्र. पु.. ए. व. - हुत्वा .... जा. अट्ठ. 1.45. यो नाच्चसारीति यो नातिधावि, सु. नि. अट्ठ. 1.19; - वित्वा अतिदेस पु.. [अतिदेश], 1. हस्तान्तरण, समर्पण, सुपुर्दगी, पू. का. कृ. - चित्तुप्पादमत्तेनेव कुसलं होतीति अतिधावित्वा एक वस्तु के धर्म का दूसरी वस्तु पर आरोपण, 2. व्याकरण । दानादीनि अकरोन्तो .... म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).301; शास्त्र में एक स्थान पर निर्दिष्ट नियम का अपने स्थल के - वितब्ब सं. कृ. - इधेकच्चो मोघपुरिसो अविद्वा अतिरिक्त अन्यत्र भी लागू होने वाली प्रक्रिया - अञदीय- अविज्जागतो तण्हाधिपतेय्येन चेतसा सत्थुसासनं अतिधावितब्ब धम्मानं अञ्जत्थ पापनं अतिदेसो, क. व्या. 272 पर रू. सि. मजेय्य, स. नि. 2(1).95.. 120. अतिधुति स्त्री., [अतिधृति], छन्दों के एक वर्ग का नाम, अतिदोस पु., [अतिद्वेष], अत्यधिक दृढ़ द्वेषभाव - अतिदोसेन जिसके अन्त. मेघ-विप्फुज्जिता तथा सर्दूलविक्कीळित जैसे वज्झो होति, मि. प. 258. अनेक छन्द आते हैं, वुत्तो. 101-102. अतिधञ त्रि०, [अतिधन्य], अत्यधिक कृतकृत्य, अत्यन्त अतिधोनचारी त्रि., बुद्धि का अतिक्रमण कर, स्वच्छन्द धन्य - अतिधा वत धरणी .... या ते अलत्थ ..... अथवा उच्छृङ्खल होकर काम करने वाला - एवं पादतलसम्फस्सं. म. बो. वं. 16(रो.). अतिधोनचारिनं, सानि कम्मानि नयन्ति दुग्गति, ध. प. 240%; अतिधन्त नपुं., अति + Vधम का भू. क. कृ., [अतिध्मात]. अतिधोनचारिनन्ति धोना वुच्चति चत्तारो पच्चये "इदमत्थं भेरी (ढोल) पर लगातार की जा रही बहुत जोरदार एतेति पच्चवेक्खित्वा परिभुञ्जनपञआ, तं अतिक्कमित्वा थपथपाहट, ढोल पर जोरदार प्रहार - अतिधन्तहि पापक चरन्तो अतिधोनचारी नाम, ध. प. अट्ठ. 2.199. . जा. अट्ठ. 1.273; अतिधन्तहि ... निरन्तरं भेरिवादनं..., तदे... अतिनट्ठ त्रि., [अतिनष्ट], अत्यधिक क्षति को प्राप्त, बहुत अतिधमे अति + vधम का विधि., प्र. पु., ए. व., अत्यधिक अधिक हानि को प्राप्त - अनस्ससन्ति नट्ठो, पनस्ससन्ति प्रहार कर बजाए, अत्यधिक फूंक मार कर बजाए - अतिनट्ठो, स. नि. अट्ट. 3.16. नातिधमेति अतिक्कमित्वा पन निरन्तरमेव कत्वा न वादेय्य अतिनामेति अति + vनम का प्रेर., वर्त., प्र. पु., ए. व. [बौ. .... जा. अट्ठ. 1.273. सं. अतिनामयति], 1. शा. अ. समय व्यतीत करा देता है, अतिधम्मभार पु., धर्म का अत्यधिक प्रभाव, धर्म की प्रबल बिता देता है, पार करा देता है - सो तेन अभिज्झासहगतेन शक्ति - अतिधम्मभारेन पथवी चलति, मि. प. 224. चेतसा दिवसं अतिनामेति, अ. नि. 1(1).235; न च अतिधात त्रि., अत्यधिक तृप्त, बहुत अधिक सन्तुष्ट - अनुमोदनस्स कालमतिनामेति, म. नि. 2.347; - मि वर्त.. अतिधातोस्मीति कम्म न करोति, दी. नि. 3.139; - ता उ. पु., ए. व. - नमस्समानोव रत्तिं अतिनामेमि, सु. नि. स्त्री. भाव., अत्यधिक तृप्तिभाव, बहुत अधिक भोजन ले लेने अट्ठ. 2.297; - न्ति वर्तः, प्र. पु., ब. व. - अतिनामेन्ति ते की स्थिति - ... अतिधातताय किलन्तकायो निद्दायाभिभूतो खणं, अ. नि. 3(1).61; - मयि अद्य., प्र. पु.. ब. व. - .... जा. अट्ठ. 2.243, विलो. अतिछात. अब्भोकासेतिनामयि, थेरगा. 366; 2. ला. अ. क. भोजन अतिधावन्ति अति + Vधाव का वर्त. प्र. पु., ब. व. को गले के नीचे पहुंचाता है - न च ब्यञ्जनेन आलोपं [अतिधावन्ति, शा. अ. अतिक्रमण करते हैं, उल्लंघन अतिनामेति, म.नि. 2.347; 2. ख. किसी को ले जाता करते हैं, अत्यधिक दूर चले जाते हैं, बहुत तेजी से दौड़कर है - मेत्वा पू. का. कृ. - सम्बुद्ध ... अस्सम अतिनामेत्वा आगे निकल जाते हैं, ला. अ. निरर्थक कल्पनाओं में भागते ...... अप. 1.273; तुल. अतिनेति. दौड़ते हैं - ब. व. - ओलीयन्ति एके अतिधावन्ति एके..... अतिनिज्झायितत्त नपुं. भाव. [अतिनिध्यायितत्व], इतिवु. 31; अतिधावन्तीति परमत्थतो भिन्नसभावानम्पि अत्यधिक सूक्ष्मता अथवा ध्यान के साथ सोचने विचारने की सभावधम्मानं वायं हेतुफलभावेन सम्बन्धो, तं अग्गहेत्वा अवस्था - न अतिनिज्झायितत्तं रूपानन्ति, म. नि. 3.199%; For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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