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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अड्ड वि. व. अट्ठ. 52; तेय्य त्रि. [ अर्द्धतृतीय], ढाई अड्ढतेय्यो दियड्ढडो तु दिवड्डो दुतियो भवे, अभि. प. 478; राजगहे पटिवसति महतिया परिब्बाजकपरिसाय सद्धिं अड्ढतेय्येहि परिब्बाजकसतेहि, महाव. 45; सो तं देवनगरं आनेत्या अनुय्यानं नाटिकाकोटीन जेहिकं कत्वा यावतायुकं ठत्वा यथाकम्मं गतो, जा. अट्ठ. 1.203; - अड्ढतेय्यकोटिसङ्घानं परिचारिकानं मज्झे एक अलम्बुसं नाम अच्छरं ठपेत्वा .... जा. अड. 5.146; अङ्गुतेय्यसते मनुस्से वधित्वा खादिसु जा. अड. 2.106 परिजनकम्मकारेहि सह कम्मन्तं ओसटपरिसा अङ्गुते व्यसहस्सा अहोसि सु. नि. अड्ड. 1.110 तेरस / वेळस [अर्धत्रयोदश] साढ़े बारह महता भिक्खुसङ्खेन सद्धिं अङ्कतेलसेहि भिक्खुसतेहि दी. नि. 1.42; स. नि. 1 ( 1 ).222; महाव. 296; दण्डक पु., [ अर्धदण्डक], छोटे आकार का डण्डा या छड़ी अङ्गुदण्डकेहिपि ताळेन्ति म. नि. 1.121 हत्थेन वा पादेन वा कसाय वा वेतेन वा अङ्कदण्डकेन वा छेज्जाय वा हनेय्यु पारा. 53: दुस्ख नपुं. [ अर्धदुष्य] आधा वस्त्र, वस्त्रखण्ड " अनुदुस्सस्सिदं फलं, अप. 2.76 नवम त्रि. [अर्धनवम] साढ़े आठ एवं हि अङ्कनवमराहस्सानि जुतिधरो कारयित्वाभिसमयं म. वं..15.201 नाळिकमत्त त्रि., [अर्धनालिकामात्र ], केवल आधी नालिका की माप या तौल वाला भद्दे अनालिकतण्डुले गहेत्वा ततो मरहं यागुञ्च पूवञ्च भत्तञ्च पचाही ति, जा० अ० 6.194; नाळिमत्त त्रि, उपरिवत् अहञ्हि अड्डनाळिमत्तं वरकचोरकं कुण्ठकुदालञ्च निस्साय छ वारे पब्बजित्वा, ध. प. अ. 1.176: - पक्कफल त्रि. ब. स. [ अर्द्धपक्वफल ], आधे पके फलों से युक्त तस्मिं अम्बदने अम्बरुक्खा पक्कफला च अड्डपकफला व तरुणफला च फुल्लितायेवाति अत्थो, जा. अड. 5.162: पल्लङ्क पु. [ अर्थपर्यङ्क] अर्धपर्यङ्कासन अनुजानामि, भिक्खवे, भिक्खुनिया अड्डपल्लङ्क न्ति चूळव 446; अड्डपल्लङ्कमाभुज्ज, निसीदि परमासने, अप. 2.209;पोरिस त्रि०, ब० स० [अर्धपौरुष], आधा पोरसा की ऊंचाई वाला - होति खो सो, आवुसो, समयो यं महासमुद्दे अड्डपोरिसम्प उदकं सण्ठाति म. नि. 1.248; बेलुव नपुं. [अर्धविल्व], बेल का आधा फल तावन्तो गण्ड जायेथ, अद्धवेलुवसादिसा. जा. अट्ठ. 5.67 बेलुवपक्क नपुं.. [अर्धविल्वपक्व], पके बेल का आधा फल अथस्स तावदेव उदकविन्दुगणनाय अङ्कबेलुवपकप्यमाणा गण्डा उद्द्वहिंसु जा. अड. 5.70 बेलुवाहार त्रि. ब. स. आधे बेल फल का - www.kobatirth.org - - 97 अड्ड आहार ग्रहण करने वाला सन्ति खो पन में, उदायि सावका कोसकाहारापि अङ्ककोराकाहारापि बेलुवाहारापि अड्डुबेलुवाहारापि म. नि. 2.209 भाग पु.. [ अर्द्धमाग]. आधा हिस्सा, आधा भाग, अर्द्धभाग - भागड्डभागं दत्वान, मोदामि नन्दने बने वि. व. 113 भागभागन्ति अत्तना लद्वपटिवीसतो उपड्डूभागं, वि. व. अट्ठ 48; - भुत्तत्रि [अर्धमुक्त] आधा खाया हुआ, अर्धभक्षित, वह जिसने या जिसमें से आधा ही भोजन किया गया है अनुभुत भोजनपाति आदाय सत्धु सन्तिकं गन्त्वा... घ. प. अड्ड. 2.339 मण्डल नपुं. [ अर्द्धमण्डल], छोटा मण्डल, आधा मण्डल - अड्डूमण्डलम्पि नाम करिस्सति, महाव. 378; अड्डमण्डलन्ति खुद्दकमण्डलं, महाव. अट्ठ. 384 - टि. पांच खण्डों वाले चीवर के प्रत्येक खण्ड को पुनः दो भागों में विभक्त किया जाता है, छोटे टुकड़े को अनुमण्डल या खुद्दक मण्डल कहते हैं और दूसरे वस्त्रखण्ड को मण्डल कहते है, द्रष्ट, तदे मत / अद्धमत त्रि. [ अर्धमृत]. आधा मरा हुआ, मृतप्राय, मरणासन्न आमतो होतीति अद्धमतो मरितु आरद्धो होति दी. नि. अनु. 2.361; मान नपुं॰ [अर्द्धमान], आधा मान, प्राचीन काल की एक माप, माप की एक इकाई - तस्मा हरामि भुसे अनुमान, मा मे मित्ति जीवित्थ सरसतायन्ति जा. अ. 1.446; गानन्ति हि अहन्नं नाळीनं नाम, चतुन्ने अनुमान जा. अड. 1.447 - मास' पु०, [अर्धमास], आधा महीना, एक पक्ष एक मासं अड्ढमासं ... तिद्रुतु, भिक्खवे, अड्ढमासो, दी. नि. 2.236; म. नि. 1.92: इच्छामहं भिक्खवे, अनुमास पटिसल्लीयितुं स. नि. 3(2).390; - मासमत्त नपुं, केवल एक पखवारामात्र, आधा महीना सो पुन अड्ढमासमत्तं अतिक्कमित्वा राजानं दब्बिया पहरित्वा... जा० अट्ठ. 3.190; - मासन्तरिक त्रि.. [ अर्धमासान्तरिक ] आधे महीने के अन्तराल वाला - अद्धमासिकन्ति अद्धमासन्तरिक, म. नि. अड्ड (यू.प.) 1 ( 1 ) . 357 ; - मासिक' त्रि. [ अर्धमासिक], एक पखवारे वाला, आधे महीने से सम्बद्ध इति एवरूपं अद्धमासिकम्पि परियायभत्तभोजनानुयोगमनुयुत्तों विहरामि म. नि. 1.111 दी. नि. 1.150; मासूपसम्पन्न त्रि. [ अर्धमासोपसम्पन्न], एक पखवारे अथवा आधा महीना पूर्व उपसम्पदा प्राप्त करने वाला - अचिरूपसम्पन्ने जोतिपाले माणवे अड्ढमासुपसम्पन्ने, म. नि. 2.250 मास पु.. [ अर्धभाषा] आधा मासा, माष नामक मुद्रा-विशेष का आधा अलद्वपुब्बं लद्धान, अड्डमासं कण्टको, जा० अट्ट 6.175; अयं किं अग्घति, For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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