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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 91 अट्ठवस्सिक अट्ठान अट्ठ. 2.44; अट्ठवत्थुकेन हि अविज्जान्धकारेन ओनद्धा, ध. धम्मपरियायं देसेस्सामि. स. नि. 2(2).225; - परियायवग्ग प. अट्ठ. 2.57; अयम्पि पाराजिका होति असंवासा पु., स. नि. के एक वर्ग का शीर्षक, स. नि. 2(2).224-232; अट्ठवत्थुका ति, पाचि. 297; - हेतु पु., आठ प्रकार की - भेद त्रि., ब. स., एक सौ आठ उपविभागों वाला - वस्तुओं का कारण - अपराधकारकस्स अट्ठवत्थुकहेतु अद्वेव, अट्ठसतभेदेन तोहानिस्सयेन द्वासट्ठिभेदेन दिद्विनिस्सयेन च जा. अट्ठ. 3.391. .... सु. नि. अट्ठ. 2.87; - सहस्सविभव त्रि., वह, जिसके अद्ववस्सिक त्रि.. [अष्टवार्षिक]. आठ वर्षों वाला, अष्टवर्षीय पास आठ लाख तक की सम्पत्ति हो - सावत्थियं किरेको - अद्ववस्सिकोपि ... चवति मरति अन्तरधायति ब्राह्मणो अट्ठसतसहस्सविभवो, ध. प. अट्ठ. 2.286; - सुत्त विप्पलुज्जतीति, महानि. 87. नपुं., स. नि. के एक सुत्त का शीर्षक, स. नि. 2(2).225-26. अट्ठवाचिक त्रि., [अष्टवाचिक], शा. अ. आठ प्रकार की अट्ठसत्ततिवस्स त्रि., ब. स. [अष्टसप्ततिवर्ष], अठहत्तर वचन-विज्ञप्तियों से युक्त, ला. अ. भिक्षुणियों की उपसम्पदा वर्षों की आयुवाला - अट्ठसत्ततिवस्साहं, पच्छिमो वत्तते वयो, - अट्ठवाचिका उपसम्पदा, परि. 265; अट्ठवाचिका भिक्खुनीनं अप. 2.254. उपसम्पदा उभतोअत्तिचतुत्थत्ता, वजिर. टी. 513; - टि. अट्ठसद्द-जातक नपुं., जा. कथानकों में से एक जातक का भिक्षुणियों की उपसम्पदा में दो बार ज्ञप्तिचतुर्थकर्म निर्धारित शीर्षक, जा. अट्ठ. 3.379-85. है, अतः भिक्षुणियों की उपसम्पदा को अट्ठवाचिका उपसम्पदा अट्ठसमापत्तियान नपुं., आठ प्रकार की आध्यात्मिक कहा गया है. उपलब्धियों को प्राप्त कराने वाला वाहन या साधन - अट्ठविध त्रि., [अष्टविध], आठ प्रकार का, आठ तरह का, देवलोकयानसञ्जितं अट्ठसमापत्तियानं अभिरुव्ह, सु. नि. अष्टविध, आठ तरह वाला - लाभो अलाभो यसो अयसो अट्ठ 1.148. निन्दा पसंसा सुखं दुक्खन्ति अयहि अट्ठविधो लोकधम्मो. अट्ठसहस्स नपुं.. [अष्टसहस्र], 1. आठ हजार - ततो जा. अट्ठ. 2.159; अट्ठविधेन रूपक्खन्धो, विभ. 163; अट्ठसहस्सनागासरं ओतरित्वा .... जा. अट्ठ. 5.35;2. नपुं.. अट्ठविधेन रूपसङ्गहो, ध. स. 590. श्रीलङ्का के एक क्षेत्र विशेष का नाम - देसं अट्ठसहस्सव्हं अट्ठवीसति स्त्री., [अष्टाविंशति], अट्ठाईस - कतमे दत्वान वसितुं तहिं, म. वं. 61-24; - पाद त्रि., ब. स. अट्ठवीसति? मि. प. 141; अट्ठवीसति वस्सानि रज्जं कारेसि [अष्ठसहस्रपाद], आठ हजार पैरों, जटाओं या प्रशाखाओं खत्तियो, म. वं. 34.37; नक्खत्तपदकोविदोति अट्ठवीसतिया (बरोहों) से युक्त (वटवृक्ष) - तत्थहसा मेघसमानवण्णं, नक्खत्तकोट्ठासेसु छेको, जा. अट्ठ. 6.308; -- क्खत्तुं निपा., निग्रोधराजं अट्ठसहस्सपाद, जा. अट्ठ. 5.42. क्रि. वि. अट्ठाईस बार - अट्ठवीसतिक्खत्तुञ्च, चक्कवत्ती अट्ठहत्थ त्रि., ब. स. [अष्टहस्त], आठ हाथ की लम्बाई अहोसहं, अप. 1.33. वाला - एकं सत्तहत्थं एक अट्ठहत्थान्ति द्वे वस्सावासिकसाटके अट्ठवीससत नपुं.. [अष्टाविंशतिशत], एक सौ अट्ठाईस - लभित्वा .... ध. प. अट्ठ. 1.171. अट्ठावीससतं पदानि सा. सं. 13. अट्ठान नपुं., ठान का निषे. [अस्थान], 1. अनुपयुक्त विषय अट्ठसट्ठि स्त्री., [अष्टाषष्टि], अड़सठ - सटिकम्हि निपातम्हि, अथवा क्षेत्र, अनुपयुक्त स्थल, अनुपयुक्त काल - अट्ठाने मोग्गल्लानो महिद्धिको, एकोव थेरगाथायो, अट्ठसट्टि भवन्ति पदेसे मता मद्दी, जा. अट्ठ. 7.343; 2. असंभाव्यता, असम्भव ताति, थेरगा. (पृ.) 295; महाभिक्खुसङ्को पटिवसति होना (यदि उत्तरवर्ती उपवाक्य में 'य' तथा 'विधि' के अट्ठसद्धिभिक्खुसतसहस्सं दी. नि. 2.35; कम्मानि आरभाषेत्वा क्रियारूप हों) - अट्टानं तं सङ्गणिकारितस्स, यं फस्सये लेणानि अट्ठसट्टियो, म. वं. 16-12. सामयिक विमुत्तिं सु. नि. 54; अट्ठानमेतं, आनन्द, अनवकासो अट्ठसत नपुं., [अष्टाशत]. 1. एक सौ आठ - अट्ठसतम्पि यं तथागतो ... पाराजिकं सिक्खापदं पञ्जत्तं समूहनेय्याति, मया वेदना वुत्ता परियायेन, स. नि. 2(2).226; ये पुग्गला पारा. 25; अट्ठानमेतं अनवकासोति उभयम्पेत अट्ठसतं पसत्था, सु. नि. 229; 2 आठ सौ - वेदानं पारङ्गते कारणपटिक्खेपवचनं, पारा. अट्ठ. 1.178; 3. (केवल सप्त. अट्ठसतब्राह्मणे निमन्तेत्वा, जा. अट्ठ. 1.66; - परियाय पु., वि., ए. व. में 'अट्ठाने' रूप में), अनुपयुक्त व्यक्ति के बारे [पर्याय], एक सौ आठ संख्या तक विस्तृत वेदनाओं से में - ... अट्ठाने कोपं बन्धित्वा .... जा. अट्ठ. 4.185; 4. सम्बन्धित धर्मोपदेश की पद्धति - अट्ठसतपरियायं वो, भिक्खवे. (अट्ठानेन रूप में), बिना किसी उपयुक्त कारण के, अकारण, For Private and Personal Use Only
SR No.020528
Book TitlePali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Panth and Others
PublisherNav Nalanda Mahavihar
Publication Year2007
Total Pages761
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size29 MB
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