SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir पद्म विलषे तेजदूर होगया रणका अभिलाष छोड़ पराङ्मुख भए त्राससे आकुलित भयाहै चित्त जिनका भ्रमर on की न्याई भ्रमते भए तब यक्षोंके अधिपति बड़े बडे याघा एकट्टे होकर रावणके सन्मुख आए रावण सबके छेदनेको प्रवरता जेसे सिंह उछलकर मस्त हाथियोंके कुम्भस्ल विदारे तैसे रावण कोपरूपी पवन के प्रेरे अग्नि स्वरूप होकर शत्रुसेना रूपी बनको दाह उपजावते भए ऐसा कोई पुरुष नहीं कोई स्थ नहीं कोई अश्व नहीं कोई हाथी नहीं कोई विमान नहीं जो रावणके बापोंसे न बींधागया हो तव रावणको रणमें देख वैश्रवण भाईपनेका स्नेह जनावता भया और अपने मनमें पंछताया जैसे बाहूबल भरतसे लड़ाई कर पछताए थे तैसे वैश्रवण रावणसे विरोध कर पछताया हाय यह संसार दुःखका भाजन है जहां यह | पाणी नाना योनियों में भ्रमण करे है देखो में मूर्ख ऐश्वर्य से गर्वित होकर भाई के विध्वंश करने में प्रवरता यह विचारकर वैश्रवण रावणसे कहताभया हे दशानन यह राजलक्ष्मी क्षणभंगुरहे इसके निमित्त क्या पाप करें में तेरी बड़ी मौसी का पुत्रहूं इसलिये भाइयों से अयोग्य व्यवहार करना योग्य नहीं और यह जीव प्राणियोंकी हिंसा करके महा भयानक नरक को प्राप्त होयहे नरक महा दुखसे भराहै जगतके जीव विषयोंकी अभिलाषा में फंसे हैं आंखों की पलक मात्र क्षण जीवना क्या तू न जाने है भोगों के कारण पाप कर्म काहेको करै है तब रावण ने कहा हे वैश्रवण यह धर्म श्रवण का समय नहीं जो मस्त हाथियों पर चढ़े और खडग हाथ में घारें सो शत्रुवोंको मारें तथा श्राप मरें बहुत कहने से क्या तू तलवार के मार्ग में तिष्ठ अथवा मेरे पांव पड़ यदि तू धनपालहै तो हमारा भंडारीहो अपना कर्म करते पुरुष लज्जा न करै तब वैश्रवण बोले हे रावण तेरी आयु अल्पहै इसलिये ऐसे क्रूर वचन कहे है अपनी शक्ति प्रमाण | For Private and Personal Use Only
SR No.020522
Book TitlePadmapuran Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
PublisherDigambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publication Year
Total Pages1087
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy