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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ॥४४४|| ܀ ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ पअनन्दिपञ्चविंशतिका। एकान्तोद्धतवादिकौशिकशतैर्नष्टं भयादाकुलैः जातं यत्र विशुद्धखेचरनुतिव्याहारकोलाहलम् । यत्सद्धर्मविधिप्रवर्तनकर तत्सुप्रभातं परं मन्येऽर्हत्परमेष्ठिनो निरुपमं संसारसंतापहृत् ॥ ३॥ अर्थः-जिसअहतभगवानके उपमारहित सुप्रभातके होनेपर भयभीत होकर एकांतसिद्धांतसे मच ऐसे सैकडों वादीरूपी कौशिक (वाल उल्लू) नष्ट होगये और अत्यंतशुद्ध जो विद्याधरोंकी स्तुति उसका जो शब्द उसका कोलाहल होताहुआ और जो सुप्रभात उत्तमधर्मकी प्रवृत्तिका करनेवाला है वह अर्हतभगवानका सुप्रभात (केवलज्ञान) समस्तसंसारके संतापोंको दृरकरनेवाला है ऐसा मैं मानता हूं। भावार्थ:-जिसप्रकार सुबहकेसमय समस्त उल्लू छिपजाते हैं तथा पक्षिगण अपने कलकल शब्दोंसे आकाशमें कोलाहलकरते हैं और उत्तमधर्मकी प्रवृत्ति होती है अर्थात् जिसप्रभातकालमें मनुष्य अपनी २ धर्म कियायोंमें तत्पर होजाते हैं और जो सुप्रभात उपमारहित है तथा समस्तसंतापोंको दूरकरनेवाला है उसीप्रकार अर्हतभगवानका भी सुप्रभात है क्योंकि भगवानके सुप्रभातके (केवलज्ञानके) सामने भी वस्तु के एकांतस्वरूपको ही मानकर मदोन्मत्तवादीरूपा उल्लू नष्ट होजाते हैं और जिससुप्रभातमें विद्याधर भगवानकी स्तुति करते हैं उससमय उनकी स्तुतिके शब्दका कोलाहल सबजगहपर व्याप्त होजाता है तथा भगवानका सुप्रभात (केवल ज्ञान) श्रेष्टधर्मकी प्रवृत्तिका करनेवाला है अर्थात् जिससमय संसार अज्ञानांधकारसे व्माप्त होजाता है उससमय केवलज्ञानीके केवलज्ञानसे ही श्रेष्टमार्गकी प्रवृत्ति होती है और यह भगवानका सुप्रभात उत्कृष्ट है उपमा रहित है तथा समस्तसंसारके संतापोंका दुरकरनेवाला है ऐसा मैं मानता हूं ॥३॥ सानंदं सुरसुन्दरीभिरभितः शयदा गीयते प्रातः प्रातरधीश्वरं यदतुलं वैतालिकैः पठ्यते । यच्चाश्रावि नभश्चरैश्च फणिभिः कन्याजनाद्गायतस्तदन्दे जिनसुप्रभातमाखिलं त्रैलोक्यहर्षप्रदम् ॥ ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ ४४४॥ For Private And Personal
SR No.020521
Book TitlePadmanandi Panchvinshatika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmanandi, Gajadharlal Jain
PublisherJain Bharati Bhavan
Publication Year1914
Total Pages527
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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