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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ॥२६८॥ 100००००००००००००००००००००००००००००००००० पानीन्दपञ्चविशतिका । अनेकरूपपनेसे तथा सतरूप और असत्रूपपनेसे अत्यंत गहन है और जो पूर्ण तथा शून्यभी है ऐसा आत्मतत्त्व सदा इसलोकमें जयवंत है जिस आत्मतत्त्वमें समस्तशास्त्रों के अभ्याससे पाई हुई जो ज्ञानकी प्रभा उससे देदीप्यमान तथा वास्तविक पदार्थों के विचारकरनेमें चतुरभी मनुष्य मुग्ध होजाता है अर्थात् उसकोभी इस चैतन्य ( आत्म) तत्त्वका पता नहीं लगने पाता । भावार्थ:-जो चैतण्यरूपीतत्त्व द्रव्यकी अपेक्षातो नित्य है तथा पर्यायकी अपेक्षा अनित्य है और जो संसारावस्थामें कर्मोंके जरियेसे भारी होनेपरभी कर्मरहित अवस्थामें हलका है तथा जो स्वद्रव्यकी अपेक्षा एकरूप है तथा पर्यायकी अपेक्षा अनेकरूप है और जो स्वचतुष्टयकी अपेक्षा सत् स्वरूप है तथा पर चतुष्टयकी अपेक्षा असत् स्वरूप है तथा जो चैतन्यरूपी तत्त्व स्वद्रव्यादिचतुष्टयकी अपेक्षा पूर्ण है तथा परद्रव्यादि चतुष्टयकी अपेक्षा शून्य है ऐसा यह अत्यंत गहन आत्मतत्व इसलोकमें सदा जयवंत है और समस्तशास्त्रोंके अभ्याससे जिन महापुरुषोंने ज्ञानरूपी प्रभाको पाकर अपनी आत्माको देदीप्यमान बनाया है और वास्त. विक पदाथाके विचार करनेमें जिनकी बुद्धि अत्यंत प्रवीण है ऐसे महापुरुषभी उस आत्मतत्त्वका खोज नहीं करसक्ते हैं अर्थात् वास्तविक रीतिसे उनको भी आत्मतत्वका पता नहीं लगता ॥२॥ सर्वस्मिन्नणिमादिपङ्कजवने रम्येऽपि हित्वा रतिं यो दृष्टिं शुचिमुक्तिहंसवनितां प्रत्यादरादत्तवान् । चेतोवृत्तिनिरोधलब्धपरमब्रह्मप्रमोदाम्बुभृत्सम्यक्साम्यसरोवरस्थितिजुषे हंसाय तस्मै नमः ॥३॥ अर्थः-जो हंस अत्यंत मनोहरभी अणिमा महिमा आदि स्वरूप कमलवनसे अपनी प्रीतिको हटाकर अत्यंत पवित्र मोक्षरूपी हंसिनीमें अपनी दृष्टिको देताहुवा ऐसे उसचित्तकी वृत्तिके रोकनेसे प्राप्तहुवा जो परब्रह्मका उत्तम आनंद वही हुवा जल उससेभराहुवा जो मनोहरसमतारूपी सरोवर उसमें स्थिति करनेवाले ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ 6000000000000000004 ॥२६८॥ For Private And Personal
SR No.020521
Book TitlePadmanandi Panchvinshatika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmanandi, Gajadharlal Jain
PublisherJain Bharati Bhavan
Publication Year1914
Total Pages527
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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