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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निर्वाण संवत् को ठीक प्रमाणित किया। जैन और बौद्ध उल्लेखों के अनुसार महात्मा बुद्ध, अजीविक सम्प्रदाय के संस्थापक मक्खलि गोशाल, वैशाली नरेश चेटक, मगध राजा श्रेणिक या बिम्बसार और श्रेणिक पुत्र अभय और कुणीक या अजातशत्रु, ये इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति महावीर के समकालीन थे। लिच्छवी गणतंत्र के प्रमुख चेटक की सबसे बड़ी पुत्री की कुक्षि से महावीर का जन्म हुआ था और सबसे छोटी पुत्री चेलना श्रेणिक की पटरानी और कुणीक की जननी थी। जैन ग्रंथकारों के अनुसार श्रेणिक चरित के आधार पर श्रेणिक के पिता ने श्रेणिक को राज्य से निकाल दिया था। मार्ग में ब्राह्मण मिला, उनकी बुद्धिमती पुत्री से श्रेणिक का विवाह हुआ। उससे अभयकुमार नामक पुत्र हुआ। पिता की मृत्यु पर श्रेणिक को मगध का राज्य मिला और बड़ा होने पर अभयकुमार राजमंत्री हुआ। अभयकुमार के मंत्रित्वकाल में राजा श्रेणिक चेटक की सबसे छोटी पुत्री चेलना पर आसक्त गये और चेटक से उसकी याचना की। चेटक द्वारा अस्वीकृत करने पर अभयकुमार ने छल से चेलना का हरण कर श्रेणिक से उसका विवाह करा दिया। चेलना के प्रयत्न से राजा श्रेणिक ने जैनधर्म स्वीकार किया और महावीर का उपदेश सभा का प्रधान श्रोता बना। जब 42 वर्ष की अवस्था में भगवान महावीर को केवल ज्ञान हुआ और राजगृही में पदार्पण हुआ, उस समय राजाश्रेणिक चेलना के साथ निवास करते थे। हरिशेष के 'कथाकोश' के अनुसार भगवान महावीर के निर्वाण से सात वर्ष पाँच मास पश्चात् श्रेणिक की मृत्यु हुई। बौद्ध और जैन ग्रंथों से इसका समर्थन नहीं होता। ___ जैनों में परम्परा से प्रचलित वीर निर्वाणकाल को और बौद्धों में परम्परा से प्रचलित बुद्ध निर्वाणकाल को ही ठीक मान कर चलने से बुद्ध, महावीर, गोशालक, श्रेणिक, अभयकुमार और अजातशत्रु आदि की समकालीन तथा जैन और बौद्ध ग्रंथों में वर्णित घटनाओं की संगति ठीक बैठ जाती है। महावीर बुद्ध जन्म 599 ई.पू. 624 ई.पू. बोधिलाभ 557 ई.पू. 599 ई.पू. निर्वाण 527 ई.पू. 544 ई.पू. जिनशासन के चौबीसवें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हुए, जिनका समय ईसा पूर्व छठी शताब्दी माना गया है, जो कि विश्व के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में, जबकि भगवान महावीर ने और उनके समकालीन महात्मा बुद्ध ने अहिंसा का उपदेश देकर धार्मिक और सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात किया, लगभग उसी समय चीन में लाओत्से और कन्फूशियस, यूनान में पाइथोगोरस, अफलातून और सुकरात, ईरान में जरथुष्ट, फिलीस्तीन में जिरेमिया और इर्जाकेल आदि महापुरुष अपने अपने क्षेत्र में धार्मिक क्रांति के सूत्रधार बने। 1. वृहद् कथा कोष, कथा 55 2. जैन धर्म का मौलिक इतिहास, प्रथम खण्ड, पृ532-533 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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