SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (iv) रक्षण योग्य नितान्त आवश्यक ग्रन्थ प्रत्येक जाति-ज्ञातिनी का पूर्व इतिहास होता है । वह इतिहास में से वर्तमान कालीन व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता है, बोध पा लेता है। आजकल जमाना शीघ्रता का पर्याय हो गया है । प्रायः नगरवासी युवकों को स्वयं के पिता के पूर्वज आदि का नाम स्मृति में नहीं है। ऐसे युग में ऐसे 'जैनमत और ओसवंश' ग्रन्थ की नितान्त आवश्यकता है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आज के जैन के पास यदि ऐसे स्वजाति-ज्ञानि का इतिहास प्राप्त हो तो नई पीढ़ी उससे परिचित हो और इतिहास का रक्षण हो जाए और ऐसी परंपरा का रक्षण तो होना चाहिए । डॉ. महावीरमलजी लोढा ने अथक परिश्रम किया है। उनके बड़े भाई साहब चंचलमलजी लोढ़ा ने प्रेरणा दी है। स्वयं स्थानक की परंपरा वाले हैं । अतः सहज है उनका परिचय क्षेत्र वह रहा हो, किन्तु इतिहास के लेखन के समय सारी परम्पराओं एक सो आकलन करना जरूरी है। आशा रखता हूँ कि अगले भाग में वह बात ध्यान में रखकर संपादनलेखन हो । यह यहाँ पूर्ण सफलता प्राप्त करें, हमारी शुभकामना । धनमिन्दवे होमचन्द्र परि श्री नेमि देव- हेमचन्द्र सूरि शिष्य प्रदुम्न सूरि श्रावण शुक्ला, षष्टी, वि. सं. 2055 ओपरा जैन उपाश्रम पालडी, अहमदाबाद - 7 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy