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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2. वैचारित भद्रबाहु काल (दूसरी शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक) (क) आगम वाचना और संघभेद काल (श्रुतिकेवलि भद्रबाहु से देवर्द्धिक्षमाश्रमण तक) (ख) संक्रांतिकाल और हरिभद्रकाल (हरिभद्रसूरि से लगभग 1000 ई तक) (ग) सम्प्रदायभेद काल (1000 ई से लोंकाशाह तक) वैचारिक क्रांति अथवा लोकाशाह काल (लोकाशाह से आज तक) स्थानकवासी परम्परा मूर्तिपूजक परम्परा तेरापंथी परम्परा जैनमत : प्रवर्तन से प्रसारकाल तक ओसवंश : बीजारोपण से उत्कर्ष तक जैनाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित ओसवंश के गोत्र तृतीय अध्याय- ओसवंश : उद्भव 185-259 उपकेश वंश : व्युत्पत्ति प्रथम मत : परम्परागत धार्मिक मत द्वितीय मत : भाटों और भोजकों का मत तृतीय मत : तथाकथित ऐतिहासिक मत ओसिया की प्राचीनता उपलदेव कौन? उपकेशगच्छ की प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता ओसवंश का उद्भव: निष्कर्ष चतुर्थ अध्याय : ओसवंश के उद्भूत गोत्र : पूर्व जातियां 260-395 ओसवंश के 18 गोत्र गोत्र संख्या नाम- पद्यात्मक ओसवंश के गोत्रों का वर्गीकरण 1. प्रतिबोधकर्ता के आधार पर 2. गच्छ के आधार पर प्रतिबोध के स्थान के आधार पर 4. गोत्रों के उद्भूत- समय के आधार पर नामकरण के आधार पर पूर्व जाति के आधार पर For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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