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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 432 1389 में विरचित 'विविध तीर्थकल्प' में चन्द्रप्रभु मन्दिर का वर्णन है, पद्मसेन सूरि के आचार्य ने 1235 ई में चन्द्रप्रभु मंदिर बनवा,'), मीरपुर तीर्थ (अनादरा सिरोह मार्ग पर, प्राचीन नाम हमीरपुर, अशोक के पौत्र सम्प्राति ने हमीरगढ़ में पार्श्वनाथ का मंदिर बनवाया था, एनसाइक्लोपीडिया ऑफ वर्ड आर्ट में इस मंदिर का उल्लेख है), नादहद तीर्थ । झुंझुनु जिले में, वागड़ का महत्वपूर्ण नगर, आचार्य विनयप्रभसूरि ने तीर्थयात्रा उपवन' में इसका उल्लेख किया है, चौहानों के शासनकाल में जिनदत्तसूरि ने पार्श्वनाथ की एक नौफणी प्रतिमा स्थापित की थी, जिनकुशल सूरि नरहद में जिनदत्तसूरि द्वारा प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ प्रतिमा के दर्शन के लिये रुके थे) आरासणा तीर्थ (अर्बुदाचल की तलहटी में, नेमिनाथ की श्वेत संगमरमर की 1618 ईके लेखवाली प्रतिमा है, जिसके उपकेश गच्छीय विजयदेव सूरि द्वारा प्रतिष्ठा करने का उल्लेख है, प्रथम मंदिर पर 1251 ई का लेख है, दूसरे महावीर मन्दिर पर 1618 ई का लेख है, तीसरे शांतिनाथ मंदिर में 1089 ई और 1081 ई के उल्लेख हैं', चतुर्थ मंदिर की वेदी पर 359 ई का लेख है, परिक्रमा के अंतिम देवालय पर 1104 ई का लेख है और पांचवा मंदिर सम्भवनाथ का है, घंघाणी तीर्थ (अर्जुनपुर, यहाँ सम्प्रति द्वारा बनाया गया 2200 वर्ष पुराना मंदिर बताया जाता है, यहाँ 880 ई की एक आदिनाथ की प्रतिमा खोजी गई है) 1184 ई के अभिलेख में भण्डारी गुणधर द्वारा मण्डारे की मण्डपिका से आधा द्रम प्रतिमाह देने का उल्लेख है, मुछाला महावीर तीर्थ (घाणेराव के निकट, 10वीं शताब्दी कामंदिर, प्राचीनतम अभिलेख 976 ई का है,12) वरकाणा तीर्थ (गोड़वाड़ा की पंचतीर्थी का एक महत्वपूर्ण तीर्थ, नवचौकी के स्तम्भ पर चौहानकाल का 1154 का उल्लेख है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में निर्मित प्रतीत होता है), करेड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ (यह मेवाड़ की पंचतीर्थी का पार्श्वनाथ तीर्थ है, स्थापत्य वैशिष्ट्य के कारण महत्वपूर्ण है, यह 10वीं शताब्दी के पूर्व का प्रतीत होता है। यहाँ की एक धातु प्रतिमा से 7वीं शताब्दी का लेख प्राप्त हुआ है, इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा संडेरक गच्छ के यशोभद्र के शिष्य श्यामाचार्य ने करवाई थी, श्याम पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर 982 ई का लेख उत्कीर्ण है) नांदिया तीर्थ (मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी के अन्तर्गत, प्राचीन नाम नंदिग्राम, नन्दिपुर, नन्दिवर्द्धनपुर, महावीर मंदिर पर 1073 ईकाअभिलेख है,''), दियाणा तीर्थ (मारवाड़ की छोटी पंचतीर्थी का तीर्थ, मूलमंदिर शांतिनाथ का, वर्तमान में 1. वही, पृ 156 2. जिनप्रभसूरि, विविध तीर्थकाल, पृष्ठ 16, 85 3. Ancient Cities & Towns of Rajasthan, Page 345. 4.जैनसाहित्य संशोधक, 1, अंक 3, पृष्ठ 8 5. मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म, पृ49 6. खरतरगच्छ वृहद गुर्वावली, पृ72 7. Ancient Cities & Towns of Rajasthan, Page 325. 8. जैन तीर्थ गाइड,106 9. वही, पृ107 10. वही, 1109 11. जैन लेख संग्रह (नाहर) भाग 2, क्रमांक 1709 12. श्री जैन प्रतिमा लेख संग्रह, क्रमांक 323 13. जैनलेख संग्रह (नाहर), भाग 2, क्रमांक 1905 14. वही, क्रमांक 1948 15. अर्बुदाचलजैन प्रदिक्षणा लेख संदोह, क्रमांक 452 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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