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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 423 किया। इसमें प्राचीनतम ग्रंथ 867 ई का है। (1) वृहद ज्ञान भण्डार, जैसलमेर आचार्य जिनभद्रसूरि 1440 ई में सम्भवनाथ मंदिर के तलघर में इसे स्थापित किया। यहाँ ताड़पत्रीय ग्रंथों की संख्या 804 है। यहाँ विमलसूरि के ‘पडम चरिड' (141 ई) परमानंदसूरि के हितोपदेशामृत' (1253 ई), देवेन्द्र सूरि के 'शांतिनाथ चरित', यशोदेवसूरि के 'चन्द्रप्रभस्वामी चरित' (1160 ई), धनपाल कृत "तिलक मंजरी' आदि अनेक हस्तलिखित पाण्डुलिपियां हैं। इसके अतिरिक्त खरतरगच्छ कापंचायती भण्डार में 14 ताड़पत्रीय और शेष 1000 हस्तलिखित ग्रंथ है। यहाँ 1505 ई की सचित्र “कल्पसूत्र' की प्रति है। पंचानों शास्त्र भण्डार में 42 ताड़पत्रीय हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है । तपागच्छ ज्ञानभण्डार को 1502 में आनन्दविजयगणी ने व्यवस्थित किया । “बड़ा उपासरा ज्ञान भण्डार' में यति वृद्धिचंद की गुरु परम्परा का संग्रह है। यहाँ 1019 ई का एक ग्रंथ है। यहाँ ज्ञानसागर सूरि की टीका 1429 ई की है। ‘लोकगच्छीय ज्ञान भण्डार' का संग्रह डूंगरयति ने किया, यहाँ ताड़पत्रीय ग्रंथ 500 अन्य हस्तलिखित ग्रंथ है। “यारूशाह ज्ञानभण्डार' की स्थापना सत्रहवीं शताब्दी में थाहसशाह भंसाली ने की। यहाँ 1612 ई. और 1827 ई के मध्य की अनेक पाण्डुलिपियाँ है। यहाँ 4 ताड़पत्रीय और अन्य 1000 ग्रंथ है। इसके अतिरिक्त 'हरिसागर ज्ञान भण्डार, लोहावत' (2100 ग्रंथ और 87 गुटके), 'भट्टारक ज्ञान भण्डार, नागौर' (14000 पाण्डुलिपियां और 1000 गुटके हैं)। यहाँ अधिकतर पाण्डुलिपियां 14वीं से 19वीं शताब्दी के मध्य की है। जोधपुर क्षेत्र के ज्ञान भण्डार . राजस्थान प्राच्य विद्याप्रतिष्ठान (30000 हस्तलिखित ग्रंथ) राजस्थानीशोध संस्थान चौपासनी (15000 हस्तलिखित ग्रंथ), केशरियान मंदिर भण्डार (1000 पाण्डुलिपियां) है। अन्य ज्ञान भण्डारों में जैन ज्ञान रत्नपुस्तकालय, मंगलचंद ज्ञान भण्डार, कानमल नाहटा का स्थानकवासी ज्ञान भण्डार आदि हैं। ___ फलोदी के ज्ञान भण्डारों में फूलचंद छाबक के पास 500 ग्रंथ, पुष्प श्री ज्ञानभण्डार में 375 ग्रंथ, धर्मशालाके महावीर ज्ञान भण्डार के पास 150 ग्रंथ संग्रहीत है। राजेन्द्र सूरि ज्ञानभण्डार, आहोर में विशाल संग्रह 4 बण्डलों में बंधे हैं। कुचामन सिटी के ज्ञानभण्डार के 3 मंदिरों में छोटे छोटे ज्ञानभण्डार है। धनारी (सिरोही राज) में पूज्य ज्ञानभण्डार पद्मसूरि की निश्रा में संचालित ।। सिरोही का जय विजय ज्ञानभण्डार मुनि जय विजय की निश्रा में संचालित था । कलिन्दी के केवल विजय ज्ञान भण्डार में 2000 दुर्लभग्रंथ है। शिवगंज के पंकुबाई ज्ञान मंदिर में अनेक ग्रंथों की प्राचीन पाण्डुलिपियां है। सिरोही में सोहनलाल पाटनी के निजी संग्रह में 14वीं से 19वीं शताब्दी के 1300 हस्तलिखित ग्रंथ बताए जाते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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