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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 382 ___ परबतसर के चार मील की दूरी पर एक सर्वोच्च शिखर पर भवानी केवाय माता का मंदिर है, जिसके शिलालेख (वि.स. 1056 वैसाख सुदी अक्षय तृतीया) दधिचिक चच्च का है। यह वंश दधिचिक की संतान है। चच्च के पश्चात् यशपुष्ट, कीर्तिसी और विक्रमसिंह दाहिया आदि शासक हुए। मंदिर के दूसरे शिलालेख (वि.स. 1300) में कीर्तिसिंह के पुत्र दधीचिक विक्रम की मृत्यु पर उसकी रानी नेलादेवी के सती होने का उल्लेख है। __ चच्चराजा के छोटे पुत्र विल्हण ने मारोठ में अपना अलग राज्य स्थापित किया। इनके निवास स्थान देवाड़ा में इनके द्वारा निर्मित दुर्ग और तालाब आज तक विद्यमान है। महाराजा विल्हण दहिया वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था। लोककथाओं के अनुसार उसकी घोड़ी तेजा प्रसिद्ध थी। विल्हण के वंशजों का मारोठ पर लगभग 300 वर्षों तक शासन रहा और तेरहवीं शताब्दी में नष्ट हो गया। जालौर में वीरमदेव चौहान से पूर्व एक दुर्ग बना हुआ है, इसमें एक पोल दाहियों की प्रमाणित होती है। बावतरा ग्राम से 6 मील दक्षिण में मुण्डवा ग्राम के जैन मंदिर से उपलब्ध एक ग्रंथ से यह पता चलता है कि चौथी शताब्दी के आसपास जालौर पर परमारों का राज्य था। विक्रम संवत् 1332 में बावतराजी के बूहड़ जी दाहिया ने परमारों से मुण्डवा छीन लिया था और धीरे धीरे 48 गाँवों पर अपना स्वतंत्र शासन स्थापित किया। यह क्षेत्र दहियावाटी कहलाता है। बूहड़जी के वंशज यवनों से जूझते हुए शहीद हुए, जिनके स्मारक पर वि.स. 1838 अंकित है। विक्रम संवत् 1797 में जोधपुर के महाराजा अभयसिद ने दहियावाटी पर अधिकार कर दहियों का शासन सदा के लिये समाप्त कर दिया। सिकन्दर के आक्रमण के समय सतलुज नदी के आसपास भी दहियों का राज था। साहिलगढ़ (वर्तमान अफगानिस्तान) पर भी दहियों का राज होना प्रमाणित है। रोपड़ पंजाब में बसे दहिये (राठौड़) इनसे भिन्न हैं। इस वंश के ठिकाने राजस्थान में जालौर, पाली और सिरोही (कैर) में बसते हैं। कनवास (ग्वालियर) में भी दहियों का ठिकाना है। दहिया वंश से निसृत ओसवंश के गोत्र सालेचा बोहरा दहिया वंश से निसृत ओसवंश के गोत्र (तालिका रूप में) गोत्र संवत आचार्य गच्छ स्थान पूर्वपुरुष 1. सालेचा बोहरा 1217 मणिधारी जिनचंद्रसूरि खरतर सियालकोट सालमसिंह 1. राजपूत वंशावली, पृ 169 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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