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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हरिया हरियाण हरियाणी हापाणी हीराणी सांडसा सांयाणी साहुला साधु सायलेचा सिंघलोरा श्री पल्लिवाल श्रीपाल श्रीमाली श्री श्रीमाली ऋषभ (2) गोत्र - सूची ( द्वितीय 'ख' ) उक्त www.kobatirth.org सिवाणी सीयाणी सुगंधी सुवर्ण सुराणा सेल्होत ही माना है। अनेक गोत्र ऐसे हों । हैं, जो किसी बड़े गोत्र की अकोल्या शाखा या उपशाखा हैं । अधोरा, अघोड़ा कालान्तर में उन्होंने अपनी अछड़ अलग पहचान बना ली अतः अछुता उन्हें भिन्न गोत्र मान लिया है । अछोइया अनेकों को अपने पूर्व गोत्र का अजमेरीया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only सोनगिरा सोनी सौराणकीया हथुडीया हरगणाणी समस्तनाम भी नहीं मालूम। हमाराअजीमगंजिया विवरणों के आधार पर समस्तसमाज इतना वृहद् है कि अब अटकलीया ओसवाल गोत्रों की एकवैवाहिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में अंचल प्रमाणिक सूची यहाँ प्रकाशितगोत्रों का कोई औचित्य नहीं अनविध पारख की जा रही है जिसमें कुल 26 रहा । 00 गोत्रों के नाम संग्रहीत हैं । अंबड़ यह सूची भी पूर्णअबाणी, अब्बाणी अनेक गोत्रों के नाम स्थान नहीं कही जा सकती । होअभड़ समय के विपर्यय से बदलते रहे सकता है अनेक गोत्रों के नाम अभाणी हैं। गणना में उन्हें 'एक' गोत्र छूट गये अभराणी अमरावत अमी अरणोदा अलंझड़ा 277 असुभ असोचिया आईचणाग
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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