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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 232 शिलालेख संवत् 681 के पूर्व का नहीं है। चौहानों के लेख भी संवत् 1000 के पूर्व के नहीं मिले हैं। सांखला परमारों की शाखा है। मुहणोत नैणसी ने धरणी वराह के पुत्र बाघ की औलाद से इसकी उत्पत्ति मानी है। बीजापुर के लेख में धरणीवराह का संवत् 1050 के करीब है। सोलंकियों का राज्य संवत् 1200 के करीब किराडू में होना पाया जाता है। परिहार जाति भी वि.सं 222 में नहीं थी। भाटी जाति का प्रामाणिक इतिहास 1200 के करीब प्रकाश में आता है। जैसलमेर के दीवान मेहता अजीतवीर जी ने अपने भट्टी नामें में इसकी उत्पत्ति का समय संवत् 336 के पश्चात् लाहोर के राजा भट्टी की संतानों से होना लिखा है। मोयल जाति चौहानों की एक शाखा है। इसका संवत 1500 तक लाडनू नामक स्थान पर राज्य करना पाया जाता है। सोयल गहलोतों की एक शाखा है। इसकी उत्पत्ति बाप्पा रावल से हुई है। यह इतिहास प्रसिद्ध है कि बाप्पा रावल ने संवत् 770 के पश्चात् मानराज मोरी से चित्तोड़ का राज्य लिया था। इनका राज्य मारवाड़ के इलाके में था, जिसे राठौड़ों ने छीन लिया था। दहिया जाति का राज्य चौहानों से पूर्व संवत् 1200 के करीब जालोर में था, पर ये परमारों के आश्रित या नौकर थे। मकवाना जाति परमारों की शाखा कही जाती है। इनकी छोटी शाखा झाला' है। कछवाहा जाति कासंवत 1100 के पश्चात् म्वालियर में पाया गया है। एक शिलालेख संवत् 1150 का है। इसमें राजा महिपाल के पूर्व आठ पुश्तें लिखी हुई है। प्रत्येक पुश्त यदि 25 वर्ष की मान ली जाय तो 200 वर्ष पूर्व अर्थात् संवत् 850 तक उनका वहाँ रहना सम्भव हो सकता है। गौड़ जाति बंगाल से पृथ्वीराज चौहान के समय राजपूताने में आई, पूर्व में नहीं।' इस प्रस्तुतीकरण के पश्चात् भण्डारी जी ने यह निष्कर्ष निकाला, प्राचीन जैनाचार्यों के मत की पुष्टि में- जो कि ओसवाल जाति की उत्पत्ति को भगवान महावीर से 70 वर्ष के पश्चात् मानते हैं, अभी तक कोई ऐसा मजबूत और दृढ़ प्रमाण नहीं मिलता, जिसके बल पर इस मत की सत्यता को स्वीकार किया जा सके। कुछ और प्रमाण देकर इन्होंने सिद्ध किया है कि विक्रम की छठवीं शताब्दी तक तो इस जाति की उत्पत्ति की खोज में किसी प्रकार खींचतानी से पहुंचा जा सकता है, मगर उसके पूर्व तो कोई भी प्रमाण हमें नहीं मिलता, जिसमें ओसवाल जाति, उपकेश जाति, या उकेश जाति का नाम आता हो। उसके पहले इस जाति का इतिहास ऐसे अंधकार में है कि उस पर कुछ भी 1. ओसवाल जाति का इतिहास, पृ. 13-16 2. वही, पृ 18 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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