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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 211 लोभ कज पूणी ल्यायो कीनी माया कारमी विषहर पीणोज बणायौ सेठ सेठ सुत सुतो सहज मकबपारे मालीये पी गयो सर्व वीणो प जंग जीरवांण लेजाये जालीये ।।6।। बदी रथी बणाय आंण जाखाण उतारी वड जान भूप तो उपल सरीखा अहंकारी जालण वार जतीये आणं दीधी उपल री जालो क्यूँ ओ जीव जीवाण जड़ी बैजेरी आँणियो कुंवर गुरु आगला कुवर ने जीवतो कियो नर एकम थारे नगर देशल सत गुर नै दियो ।।7।। वर्धमान जिन थकी पाट बावने पद लीधो श्री रत्न प्रभ सूरि नाम ता सदगुर दीधो तिण सू अठ दस बरस नगर ओसीया आए प्रतिबोध बाधाद नांमति हांसा चल पाए च्यार लाख चौरासी सहसवर राजकुमार प्रतिबोधिया श्री रत्न प्रभ सूर उईसा नगर थिर उसवाल थरपिया ॥8॥ श्रावण पख सितात् संवत वीये बावीसे अर्क वार आठम उसवंश हुवो उपदेसे प्रतिबोध्या पमार उपल जिन धर्म में आवो अथ मगो तसै पांच बोल सहित बँधायों नव मण जनोउ ब्राह्मण अंसवतर उतारियो भोजन जीमाय ब्रह्मा भोजगां किया थित आरम्भ का रीया ॥9॥ इति श्री उसवाल उपतपन्तिः । लिखितं जोधपुर मध्ये साधु बालारामेण विक्रम संवत् 1971 फाल्गुन सुदि 12 शुक दिने । ईसवी सन् 1915 फरवरी ता. 26 1 गांव ओलवी परगना बिलाड़ा के ठाकुर भाटी दौलत सिंह जी की पुस्तक से लिखी।। गुटका नं. 2 - सेवग सुखराम लोडावत के छन्द का नागरी रूपान्तर: एथ ओसवालों री उतपत लीखते । श्रीमाल बसे दोय सेठ, भली रीद्ध उहड़ न रूहड़ भाई। नीनाणू उहड़ रे लाख, रूहड़ सौ लाख सवाई। ऊहड़ इच्छता उपनी, कोट में महल करीजे । विनती कीधी वीर , दाम लाख उधारा दीजे । बसे कोट थाई बिगर, भोजाई मुख भाखीयो । मरण भलो धृग मांगीयो, हरिदे में गोसे राखीयो ॥1॥ सहर बसो श्रीमाल, गाउ चौबीस गरद् है । 1. इतिहास की अमरबेल, ओसवाल, प्रथम खण्ड For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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