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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 168 जैनाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित ओसवंश के गोत्र जैनमत के प्रवर्तन, प्रवर्द्धन, विकास और प्रसारकाल के लम्बे इतिहास में जैनाचार्यों ने श्रावकों की एक लम्बी कतार खड़ी कर जैनजातियों के उद्गम में योग दिया है। महावीर के निर्वाण के पश्चात् वीर संवत् 70 में पार्श्वनाथ परम्परा के सातवें पट्टधर आचार्य रत्नप्रभसूरि ने ओसियां में क्षत्रियों को प्रतिबोधित कर महाजन वंश के उद्भव के साथ 18 गोत्रों की स्थापना की। ये गोत्र हैं- तातेहड़, कर्णाट, बधनाग (बाकण्ण) बलाहा (बलहारा) मारोक्ष, कुलहट, विरहट, श्रीमाल, श्रेष्ठि, सहचिती या संचेती, आदित्यनाग, भाद्र, चींचट, कुमट, डीडू, कन्नोज और लघु श्रेष्ठी। ___ यह सूची रामलाल जी के 'महाजनवंश मुक्तावली', ज्ञानसुन्दर जी के 'जैन जाति महोदय' और 'जैनजाति निर्णय' में मिलती है, जिसका स्रोत ‘उपकेशगच्छ चरित्र' है। इन 18 गोत्रों से निसृत 498 शाखा गोत्रों की एक तालिका उपकेशगच्छीय ज्ञानसुन्दर जी ने 'पार्श्वनाथ परम्परा का इतिहास' में दी है। उपकेशगच्छ को कालांतर में कमला गच्छ कहा गया। इन गोत्रों के आचार्यों द्वारा प्रतिबोधित गोत्रों की सूची निम्नानुसार है - (1) मूलगौत्र तातेड़ - तातेड, तोडियाणि, चौमोला, कौसीया, धावडा, चैनावत, तलोवडा, नरवरा, संघवी, डुंगरीया, चौधरी, रावत, मालावत, सुरती, जोखेला, पांचावत, बिनायका, साढेरावा, नागडा, पाका, हरसोत, केलाणीं। (2) मूलगौत्र बाफणा-बाफणा, (बहुफूणा) नाहटा, (नाहाटा नावटा) भोपाला, भूतिया, भाभू, नावसरा, मुंगडिया, ढागरेचा, चमकीया, चौधरी, जांघडा, कोटेचा, बाला, धातुरिया, तिहुयणा, कुरा, बेताला, सलगणा, बुचाणि, सावलिया, तोसटीया, गान्धी, कोटारी, खोखरा, पटवा, दफतरी, गोडावत, कूचेरीया, बालीया, संघवी, सोनावत, सेलोत, भावडा, लघुनाहटा, पंचवया, हुडिया, टाटीया, ठगा, लघुचमकीया, बोहरा, मीठडीया, मारू, रणधीरा, ब्रह्मेचा, पटलीया वानुणा, ताकलीया, योद्धा, धारोला, दुद्धिया, बादोला, शुकनीया। (3) मूलगौत्र करणावट- करणावट, वागडिया, संघवी, रणसोत, आच्छा, दादलिया, हुना, काकेचा, थंभोरा, गुदेचा, जीतोत, लाभांणी, संखला, भीनमाला एवं करणावट। (4) मूल गौत्र बलाहा- बलाहा, रांका, वांका, शेठ, शेडीया, छावत, चौधरी, लाला, बोहरा, भूतेडा, कोटारी, लघु रांका, देपारा, नेरा, सुखिवा, पाटोत, पेपसरा, धारिया, जडिया, सालीपुरा, चितोड, हाका, संघवी, कागडा, कुशलोत, फलोदीया। (5) मूलगौत्र मोरख- मोरख, पोकरणा, संघवी, तेजारा, लघुपोकरणा, वांदोलीया, चुंगा, लघुचंगा, गजा, चोधरी, गोरीवाल, केदारा, वातोकडा, करचु, कोलोरा, शीगाला, कोटारी। (6) मूलगौत्र कुलहट- कुलहट, सुरवा, सुसाणी, पुकारा, मसांणीया, खोडीया, संघवी, लघुसुखा, बोरडा, चौधरी, सुराणीया, साखेचा, करारा, हाकडा, जालोरी, मन्नी, For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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