SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (xiv) - - - इतिहास निर्माण की दिशा में उपयोगी ग्रन्थ 'ओसवाल वंश : उद्भव और विकास के प्रथम भाग को देखकर बड़ी प्रसन्नता का अनुभव हुआ। यह ग्रंथ अपने आप में एक अनूठा ग्रन्थ है। इसमें भगवान महावीर के पूर्वकालीन तथा उत्तरकालीन वर्ण व्यवस्था का तथा विभिन्न परम्पराओं का उल्लेख करने के साथ ही ओसवाल गोत्रों पर प्रकाश डाला है। इस ग्रंथ में जैन तीर्थ, मूर्तिकला, शिक्षण संस्थान आदि का भी परिचय दिया है। ओसवाल वंश की उत्पत्ति कहाँ से हुई, जैनधर्म पर किस प्रकार उनका प्रभाव पड़ा, अहिंसा प्रधान जीवन जीने को कैसे उद्यत हुए, इस पर लेखक डॉ. महावीरमलजी लोढ़ा ने अच्छा प्रभाव डाला है। प्रस्तुत पुस्तक इतिहास की निर्माण दिशा में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है । यह पुस्तक केवल पठनीय ही नहीं, अपितु संग्रहणीय भी है। मेरी यह शुभकामना और पूज्या श्री प्रेमकवरजी म.सा. का पूर्ण आशीर्वाद है कि निःस्वार्थ सेवाभावी श्रीमान् चंचलमलसा लोढ़ा की प्रेरणा तथा श्रीमान् डॉ. महावीरमल सा लोढ़ा का यह प्रयास इतिहास के क्षेत्र में कीर्तिमान सिद्ध हो। ओसवाल जाति का है नूतन ग्रंथ विशेष गागर में सागर भरा, पढ़कर बनो ज्ञानेश साध्वी विमलवती For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy