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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 142 प्रस्तुत है । वस्तुत: आध्यात्मिकता के गौरव शिखर आचार्य हस्तीमल जी महाराज ने बीसवीं शताब्दी में श्रमण संस्कृति के इतिहास में नया अध्याय जोड़ा। नये सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के कारण आपके ओसवंशीय श्रावकों ने यह सिद्ध कर दिया कि ओसवंश श्रमण संस्कृति की सांस्कृतिक प्रयोगशाला है और ओसवंश केवल जैनमत का प्रतिरूप ही नहीं, किन्तु श्रेयस्कर अहिंसामूलक सांस्कृतिक मूल्यों का आदर्शात्मक और प्रतीकात्मक रूप है। धर्मदास जी महाराज के सम्प्रदाय के कतिपय आचार्यों / मुनियों का संक्षिप्त परिचय www.kobatirth.org - मोतीरामजी महाराज - सं. 1925 में जयपुर राज्य के सिधोर ग्राम में आपका जन्म हुआ। संवत् 1941 में आप मंगलसेन जी महाराज की सेवा में दीक्षित हुए और संवत् 1988 में आचार्य पद प्राप्त किया। आपको आगमों का गम्भीर ज्ञान था और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता थे। संवत् 1992 में आपका स्वर्गवास हुआ। रामचंद्रजी महाराज पूज्य धर्मदास जी के दूसरे पट्ट पर आप आचार्य रूप में विराजे। आप धारा नगरी के गोस्वामी गुरु और वेद वेदांगों के पण्डित थे। आप सनातनी से जैन साधु हुए और प्रतिभाशाली बुद्धि वैभव से सम्मानीय आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए । विराज माधव मुनि-प्रवचन कला में निष्णात माधव मुनि प्रभावशाली आचार्य - हुए हैं। ताराचंद जी महाराज आप वि.स. 1946 में दीक्षित हुए। आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में आपने जैनमत का प्रचार किया । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिम्बड़ी का बड़ा सम्प्रदाय पू अजरामरजी की परम्परा - धर्मदास जी के 4 शिष्यों में 21 तो पंजाब - राजस्थान में फैले और एक सौराष्ट्र में। सौराष्ट्र के मुनि का नाम मूलचंद जी महाराज था। आपके सात शिष्यों में विशाल संघ के संस्थापक थे - अजरामर जी । जामनगर के पास पड़ावा गांव में वि. सं. 1801 में आपका जन्म हुआ । वि.सं 1845 में आप आचार्य पद पर आसीन हुए । इसके पाट पर कई आचार्य हुए सं 1562 में नानक जी के पाटे रूप जी 1587 जीवराज जी के पाटे बड़वीर जी 1605 जसवंत जी 1616 रूपजी स्वामी 1656 धनराज जी स्वामी 1678 चिन्तामणि स्वामी 1693 खेमकरणजी स्वामी For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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