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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 111 बापड़ीय गच्छ - यह गच्छ जैसलमेर में 13वीं शताब्दी में था।' देवाचार्य गच्छ - 13वीं शताब्दी के एक अभिलेखों में इसका संदर्भ है। प्रभाकरगच्छ - मेड़ता के एक अभिलेख में इसका संदर्भ है।' व्यवसिंह गच्छ - रत्नपुर (मारवाड़) के 1286 ई में इस गच्छ का उल्लेख है।' हुम्मड़गच्छ - उदयपुर में पन्द्रहवीं शताब्दी में इसका अस्तित्व था।' पालीकीय गच्छ - पाली से सम्बन्धित इस गच्छ का उल्लेख 1439 ई के लेख में पुरन्दर गच्छ - यह वृहदतपागच्छ से उत्पन्न हुआ है। रेनपुर (मेवाड़) से प्राप्त 1439 ई के लेख में इसका संदर्भ है।' कुतुबपुरा गच्छ - तपागच्छ की यह शाखा मारवाड़ में 16वीं शताब्दी में थी। ज्ञानकथ्य गच्छ - जयपुर से प्राप्त 1444 ई. के अभिलेख में इसका उल्लेख है।' तावकीय गच्छ या ज्ञानकीय - माणा से प्राप्त 1448 ई के लेख में इसका संदर्भ है। नागपुरीय गच्छ - इस गच्छ की उत्पत्ति नागौर में हई।। उद्योतनाचार्य गच्छ - पालि से प्राप्त अभिलेख से पता चला है कि इसकी उत्पत्ति पल्लिकीय गच्छ से हुई है। सागर गच्छ - तपागच्छ के राजसागर सूरि द्वारा अलग हुए इस गच्छ का संदर्भ ओसिया के लेख में मिलता है।" 1. जैन लेखसंग्रह (नाहर), 3, क्रमांक 2218 2. वही, भाग 1, क्रमांक 813 3. वही, भाग 3, क्रमांक 764 4. वही, क्रमांक 1059 5. वही, क्रमांक 825ब 6. वही, 3,700 7. वही, 149-151 8. वही 2,क्रमांक 1143 9. वही1,क्रमांक 887 10. वही, 2 क्रमांक 1606 11. वही 1, क्रमांक 825 12. वही, क्रमांक 825 13. वही, क्रमांक 304 For Private and Personal Use Only
SR No.020517
Book TitleOsvansh Udbhav Aur Vikas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavirmal Lodha
PublisherLodha Bandhu Prakashan
Publication Year2000
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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