SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक विचारणीय मत उन लोगों का भी है जो सरल अथवा ठेठ पर्याय चाहते हैं । १६४२ के पहले वाली कांग्रेसी सरकार ने 'झगड़' जैसे शब्दों का व्यवहार प्रारंभ किया था, परंतु हमारे मत से ये शब्द असुन्दर हैं, तथा इनको मानकर हम अहिन्दीभाषी प्रान्तों से दूर होजाते हैं । हम चाहते थे कि जहां तक संभव हो प्रत्येक शब्द का प्राचीन रूढ़ि पर्याय ढूंढा जाय । इसके लिए हमें मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मति, मुद्राराक्षाल, कौटित्य-अर्थशास्त्र, जातक, कथासरित्सागा इत्यादि ढूँढने पड़े। परंतु उस समय का न्याय इतना जटिल न था, और बहुत थोड़े शब्द मिले । रिक्थ, दाय, उत्तमर्ण, अधमर्ण इत्यादि हमने ग्रहण किये हैं । संभव है कि संस्कृत के बड़े बड़े विद्वान् आगे चलकर और भी शब्द ₹दु सकें। हमारा यह भी विचार था जहां संस्कृत अथवा हिन्दी का उपयुक्त रूढ़ि शब्द न मिले वहां बंगला, मराठी, गुजराती अथवा अन्य भारतीय भाषाओं का शब्द रक्खा जाय । पर इसके लिए भी जितने समय तथा बहुभावाज्ञान की अवश्यकता थी वह हममें न था । यत्र तत्र हमने ऐसा किया है । उदाहरणार्थ Procession शब्द के लिए हमें उपयुक्त हिन्दी शब्द न मिलता था । बंगला में इसके लिये शोभायात्रा' व्यवहृत होता है । हमने उसे ग्रहण कर लिया है। ___ न्यायालय-व्यवहृत शब्दों के पर्याय बनाने में एक कठिनता यह पड़ती है कि कभी कभी मूल अंगरेज़ी शब्द तथा उसके वैधानिक अर्थ में बहुत अन्तर होता है। ऐसी दशा में वैधानिक अर्थ व्यक्त करने का प्रयत्न किया गया है, यद्यपि For Private And Personal Use Only
SR No.020514
Book TitleNyayalay Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHindi Sabha Sitapur
PublisherHindi Sabha Sitapur
Publication Year1948
Total Pages150
LanguageHindi, English
ClassificationDictionary
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy