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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नीतिदीपिका सुपात्र को दिया गया दान चारित्र की वृद्धि करनेवाला, विनय--नम्रता उत्पन्न करने वाला है । ज्ञान को बढ़ाने वाला, और शान्ति को पुष्ट करने वाला है। सम्यक् तपस्या को प्रबल करने वाला, और अागम का प्रकाश करने वाला है । पुण्य उत्पन्न करने वाला और पाप का नाश करने वाला है, तथा स्वर्ग और मोक्ष की लक्ष्मी को देनेवाला है। उत्तम पात्र के अर्थ लगाया गया पवित्रधन सब मनोवांछित मुख को देता है || ७७ ॥ दानं सौख्यकरं सुतारकमहो संसारदुःखाम्बुधः, स्वर्मोक्षप्रदमात्मनो हितकरं सहद्धिशान्तिप्रदम् । दुःखघ्नं भवतापजातहरणं सम्पत्करं सन्मतं, दातव्यं विबुधैर्धनं स्वकुशलं वाञ्छद्भिरत्यादरात्॥७॥ दान सुखदेनेवाला तथा सांसारिकदुःखरूप समुद्र से पार करने वाला है । स्वर्ग मोक्ष को देनेवाला तथा आत्मा का हित करने वाला है । सत्पुरुषों ने इसे सद्बुद्धि और शान्ति को देनेवाला दुःख का संहार करनेवाला तथा सम्पत्ति को उत्पन्न करनेवाला माना है । अपना भला चाहने वाले बुद्धिमानों को बड़े आदर से दान करना चाहिये ॥ ७८॥ लक्ष्मीर्वाञ्छति तं मतिमंगयते कीर्तिश्च तं पश्यति, प्रीतिस्तं परिचुम्बतीह सतत स्वास्थ्य सदा सेवते। For Private And Personal Use Only
SR No.020509
Book TitleNiti Dipak Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Jethmal Sethiya
PublisherBhairodan Jethmal Sethiya
Publication Year1925
Total Pages56
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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