SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 522
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परलोइएस वा रूस दिसु वा स्वे जे भिक्खू इहलोइएस वा रूवे अदि वा रूवे सुसु वा रूवेसु वा असुरसु वा रूवेसु विन्नाएसु वा रूवेसु अविन्नासु वा रूवे सज्जइ रज्जइ गिझर अज्झोववज्जइ सञ्जतं वा रज्जतं वा गिज्झतं वा अज्झोववज्र्ज्जत वा साइज्जइ ॥ ३० ॥ जे भिक्खू पढमाए पोरिसीए असणं वा पाणं खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता पच्छिमं पोरिसिं उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइज्जइ ॥ ३१ ॥ जे भिक्खु परं अद्धजोयणमेराओ परेण असणं वा ४ उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइज्जइ ॥ ३२ ॥ जे भिक्खू दिया गोमयं परिगात्ता दिया कार्यसि वर्ण आलिपेज्ज वा विलिंपेज वा आलिंपतं वा विलिपतं साइज्जर | ३३ ॥ जे भिक्खु दिया गामयं पडिग्गाहेता रत्ति कार्यसि वणं आलिपेज्ज वा विलिंपेज वा आलिपतं वा विपितं वा साइज्जइ ॥ ३४ ॥ जे भिक्खू रर्त्ति गोमयं पडिग्गाहेत्ता दिया कार्यसि वणं आलिंपेज्ज वा विलिंपेज वा आळिपतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ ॥ ३५ ॥ जे भिक्खू रतिं गोमयं पडिग्गाहेत्ता रत्ति कार्यंसि वणं अलिपेज्ज वा विलिंपेज वा आलिंपतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ ॥ ३६ ॥ जे भिक्खू दिया आलेवणजायं पडिग्गाहेत्ता दिया कार्यंसि वर्ण आळिपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपतं वा विलितं वा साइज्जइ ॥ ३७ ॥ जे भिक्खू अन्नउत्थिरण वा गारस्थिरण वा उबहिं वहावेइ कहावेंतं वा साइज्जइ ॥ ४१ ॥ जे भिक्खू तन्नीसाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देतं वा साइजइ ॥ ४२ ॥ जे भिक्खू इमाओ पंच महण्णवाओ महानईओ उद्दिद्वाओ गणियाओ जियाओ तो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरइ वा संतरइ वा उत्तरं वा संतरंत वा साइज्जइ । तं जहा-गंगा, जउणा, सरऊ, एराबई, मही - ति ॥ ४३ ॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारद्वाणं अणुग्धायं ॥ ४४ ॥ ---- ॥ निसीहझयणे बारसमो उद्देसो समत्तो ॥ १२ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy