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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७ क्खभत्तं वा दुक्कालभत्तं वा दमगमत्तं वा गिलाणभत्तं वा बद्दलियाभत्तं वा पाहुणभत्तं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहें वा साइज्जइ ॥६॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इमाई छद्दोसपयाई अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय परं चउरायपंचरायाओ गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए निक्खमइ बा पविसइ वा निक्खमंतं वा पविसंतं वा साइज्जइ तंजहा-कोट्ठागारसालाणि वा भंडागारसालाणि वा पाणसालाणि वा खीरसालाणि वा गंजसालाणि वा महाणससालाणि वा॥७॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियायं मुद्धाभिसित्ताणं आगच्छमाणाण वा णिग्गच्छमाणाण वा पयमवि चक्खुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ ॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इत्थीओ सव्वालंकारविभूसियाओ पयमवि चरखुदंसणपडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू रणो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं मंसखायाणं वा मच्छखायाणं वा छविखायाणं वा बहिया णिग्गयाणं असणं वा पाणवा खाइम वा साइम वा पडिग्गाहेइ पडिग्गहेंतं वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं अण्णयरं उबवूहणिज्ज समीहियं पेहाए तीसे परिसाए अणुटियाए अभिण्णाए अवोच्छिण्णाए जोतं असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥११॥ _अह पुण एवं जाणेज्जा-'इहज्ज रायखत्तिए परिवुसिए' जे भिक्खू ताए गिहाए ताए पएसाए ताए उवासंतराए विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा पाणवा खाइम वा साइम वा आहारेइ, उच्चारं वा पासवणं वा परिढवेइ, अण्णयरं वा अणारियं निठुरं अस्समणपाओग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाण मुदियाण मुद्धाभिसित्ताणं बहिया जत्तासंपहियाणं असणवा पाण वा खाइम वा साइम वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥१३॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं बहिया जत्तापडिणियत्ताणं असणवा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंत वा साइज्जइ॥ एवं-'नईजत्तासंपटियाणं' ॥१५॥ 'नई जत्तापडि नियत्ताणं' ॥१६॥ 'गिरिजत्तासंपट्ठियाणं' ॥१७॥ गिरिजत्तापडिनियत्ताणं' ॥१८॥ जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाण मुद्धाभिसित्ताण महाभिसेयंसि वट्टमाणंसि णिक्खमइ वा पविसइ वा णिकावमत वा पविसंतं वा साइज्जइ ॥१९॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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