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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे भिक्खू अपणो देते आघंसेज्ज वा पघंसेज्ज वा आघंसंत वा पसंतं वा साइज्जइ ॥५०॥ जे भिक्खु अप्पणो दंते सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा, उच्छोलेंतं वा पधोवेत वा साइज्जइ ॥५१॥ जे भिक्खू अप्पणो दंते फुमेज्ज वा रएज्ज वा फुमेत रएतं वा साइज्जइ ॥५२॥ जे भिक्खू अप्पणो ओढे आमज्जेज्न वा पमज्जेज वा आमजतं वा पमज्जंत वा साइज्जइ ॥५३॥ एवं ओढे पायगमओ भाणियब्वो जाव फुमेज वा रएज्ज वा, फुतं वा रएंत वा साइज्जइ ॥५४-५८॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाई उत्तरोढरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा, कप्त वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥५९॥ एवं दीहाई अच्छिपत्ताई० ॥६०॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छीणि आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जत वा पमज्जतं वा साइज्जइ ।।६१॥ एबमच्छिम् पायगमो भाणियबो, जाव फुमेज वा रएज्ज वा फुतं वा रएतं वा साइज्जइ ॥६६॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाई भमुहरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा कप्पेतं वा संठवेतं वा साइज्जह ॥६७॥ जे भिक्खू अप्पणो दीहाइं पासरोमाई कप्पेज्ज वा संठवेज्ज वा कप्तं वा संठवेंतं वा साइज्जइ ॥६॥ जे भिक्खू अप्पणो अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा णहमलं वा णीहरेज्ज वा विसोहेज्ज वा, गोहरेंतं वा विसोत वा साइज्जइ ॥६९।। जे भिक्खू अप्पणो कायाओ सेयं वा जल्लं वा पंकं वा मलं वा णीहरेज वा विसोहेज्ज वा नीहरतं वा विसोहेंतं वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू गामाणुगामं दुइज्जमाणे अप्पणो सीसदुचारियं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥७१॥ जे भिक्खू सणकप्पासाओ वा उण्णकप्पासाओ वा बोडकप्पासाओ वा अमिल. कप्पासाओ वा वसीकरणमुत्ताई करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥७२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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