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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २ जे भिक्खू सोत्तियं वा रज्जुयं वा चिलमिलिं वा अण्णउत्थिष्ण वा गारत्थिएण वा कारेइ कारेंतं वा साइज्जइ ॥ १५ ॥ जे भिक्खू सूचीए उत्तरकरणं अन्नउत्थिएण वा गारत्थिएण वा कारेइ कारेंतं वा साइज्जइ ॥ १६ ॥ जे भिक्खू पिप्पलगस्स उत्तरकरणं अन्नउत्थिष्ण वा गारस्थिएण वा कारेइ कारेंतं वा साइज्जइ ॥ १७ ॥ जे भिक्खू नइच्छेयणगस्स उत्तरकरणं अन्नउत्थिएण वा गारस्थिरण वा कारेह का वा साइज ॥ १८ ॥ जे भिक्खू कण्णसोहणगस्स उत्तरकरणं अन्नउत्थिएण वा गारत्थिषण वा कारेइ, कारेंतं वा साइज्जइ ॥ १९ ॥ जे भिक्खू अणट्टयाए सूई जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ||२०|| जे भिक्खू अणट्टयाए पिप्पलगं जायर, जायंतं वा साइज्जइ ॥ २१ ॥ जे भिक्खू अण्डयाए कण्णसोहणगं जायर, जायंतं वा साइज्जइ ॥ २२ ॥ जे भिक्खू अणट्टयाए णहच्छेयणगं जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ||२३|| जे भिक्खू अविहीए सूई जायइ, जायंतं वा साइज्जइ ||२४|| जे भिक्खू अaिnte पिप्पलगं जायर, जायंतं वा साइज्जइ ||२५|| जे भिक्खु अविहीर नहच्छेयणगं जाय, जायंत वा साइज्जइ ||२६|| जे भिक्खू अविहीए कण्णसोहणगं जायह, जायंतं वा साइज्जइ ॥२७॥ जे भिक्खू अप्पणो एगस्स अट्ठाए सई जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुप्पएइ, अणुपर्यंत वा साइज्जइ ॥ २८ ॥ जे भिक्खू अप्पणो एगस्स अट्ठाए पिप्पलगं जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुप्पes अणुपतं वा साइज्जइ ॥ २९ ॥ जे भिक्खू एस्स अट्ठा नहच्छेयणगं जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुप्पएइ अणुष्पयं वा साइज्जइ ॥ ३०॥ जे भिक्खू अपणो एगस्स अट्ठाए कण्णसोहणगं जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुष्पएइ अणुप्पयतं वा साइज्जइ ||३१|| जे भिक्खू पाडिहारियं मूई जाइत्ता वत्थं सीविस्सामि-त्ति पायं सिव्वइ सिन्वंतं वा साइज्जइ ||३२| For Private and Personal Use Only
SR No.020508
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size15 MB
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