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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir दशाgत स्कन्धस्य विचारा: दोनिवि थेरा तिन्नि तिनि समणसयाई वाति, थेरे अजमेइज्जेथेरे अजपभासे पर दुण्णि वि थेरा काडिन्नागत्तिण तिनि समणसयाई वाति । से एपणट्टेणं एवं युच्च समणस्स भगवओ महावीरस्स नवगणा एक्कारस गणहरा हात्था इति गणविचारः । C रस्स ण अजसुद्दत्थिस्स वासिट्सगोत्तस्स अंतेवासी दुवे थे। सुट्टियपडिबुद्धा कोडियका कंद्रगा वग्धावश्चसगोत्ता । थेराणं सुट्टियसुपडिबुद्धाणं काडियकाकंदगाणं वग्घ वच्चसत्ताणं अंतेवासी थे अजददिने कोसिए गतिणं । थेरस्स णं अजइंददिन्नस्स को सियसगात्तस्स अंतेवासी थेरे अजदिने गोयमगत्तिणं । थेरस्स णं अजदिनरस गोयमसगात्तस्स अंतेवासी थेरे अजसीदगिरी। अजसीह गिरिस्स अंतेवासी थेरे अजवइरे, अजवइरस्स अंतेवासी चत्तारि थेरा-थेर अजनाइले, थेरे अजप मिले, थेरे अजजयंते, थेरे अज्जतावसे । थेराओ णं अजनाइलाओं नाइलसादा निगगया । थेराओ णं अजपोमिलाओ पोलिसाहा निग्गया । थेराओ णं अजजयंताओ जयंतीसाहा निगया । थेराओ णं अजतावासाओं तावसीसाहा निग्गया । इति शाखास्वरूपम् । भूमीप अणंतरे संधारण कप अवेहासे पिवीलिगाइसत्तवहं । दीहजाईओ वा डॅसेज तम्हा उच्चो कायव्वा । वर्षासु संस्तारक इति शेषः । ओ परं पजोसवणोओ अहिगरणं वयर सो अकप्पा अमेरा निज्जूडियन्वो गणाओ तंबोलपत्रनायवत् । नो sour निर्माण वा निमगंथीण वा गोलोममेत्ता वि केसा तं रयणि उवाइणावेत्तप । अष्टमदशायामेते । For Private And Personal Use Only
SR No.020506
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar Gani
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages181
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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