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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६८ निरयावलियासु दाओ, पन्ना परायकन्नगाणं एर्गादिवसेणं पाणिग्गहणं... नवरं निसढे नाम, जाव उपि पासायं विहरइ ॥ "" 35 5 तेणं कालेणं तेणं समरणं अरहा अरिणेमी आइगरे दस घणूइं ... वण्णओ जाव समोसरिए । परिसा निग्गया || तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठे स माणे तुट्ठे कोsस्त्रियपुरिसे सहावेइ २ एवं वयासीविपामेव, देवाणुप्पिया, सभाए सुहम्माए सामुदाणियं भेरि ताले हि 1 तप णं से कोडुम्बियपुरिसे जाव पडिसुणित्ता जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाणिया भेरी, 10 तेणेव उवागच्छइ । २ सामुदाणियं भेरिं महया २ सद्देणं तालेइ ॥ 64 तए णं तीसे सामुदाणियाए भेरीए महया २ सद्देणं तालियाए समाणीए समुद विजय पामोक्खा दसारा, देवीओ भाणियव्वाओ, जाव अणङ्गसेणापामोक्खा अणेगा गणिया15 सहस्सा अन्ने य बहवे राईसर जाव सत्थवाहप्पभिईओ हा या जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया जहाविभवइडीसक्कारसमुदपणं अप्पेगइया हयगया (जाव] पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव कण्हे वासुदेवे, तेणेव उवागच्छइ २ करयल कण्हं वासुदेवं जपण विजपणं वद्धावन्ति ॥ 20 तर णं से कण्हे वासुदेवे कोडुम्बियपुरि से एवं वयासी" खिप्पामेव, भो देवाणुपिया, अभिसेक्कहत्थि कप्पेह हयगयरहपवरं जाव पञ्चष्पिणन्ति । तए णं से कण्हे वा सुदेवे मज्जणघरे जाव दुरूढे, अठ्ठठ्ठ मङ्गलगा, जहा कुजिए, सेयवरचामरेहि उद्धव्यमाणेहि २ समुद्दविजयपामो25 हिं दस दसारेहिं जाव सत्थवाहप्पभिईहिं सद्धि संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव रखेणं बारावई नयरिं मांमज्झेणं,... सेसं जहा कुणिओ जाब पज्जुवासइ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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