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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तइओ वग्गो अहं वाणारसीए नयराए सामिले नामं माहणे अच्चन्तमाहणकुलप्पसूए । तए णं मए वयाई चिण्णाई [जाव] जूवा निक्खित्ता | तर णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अम्बारामा जाव पुप्फारामा य रोवाविया । तं सेयं खलु ममं इयाणि कलं [ जाव ] जलन्ते सुबहु लोहकडाहकडु - 5 च्छ्रयं तम्बियं तावसभण्डं घडावेत्ता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं ... मित्तनाइ आमन्तेत्ता तं मित्तनाइनियग विउलेणं असण' [ जाव ] संमाणेत्ता तस्सेव मित्त' [ जाव] जेट्ठपुत्तं कुटुम्बे ठवेत्ता तं मित्तनाइ' [ जाव] आपुच्छित्ता सुबहु लोहकडाहकडच्छ्रयं तम्बियं तावस- 10 भण्डगं गहाय जे इमे गङ्गाकूला वाणपत्था तावसा भवन्ति, तं जहा - होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जन्नई सड़ई घालई हुम्बउट्ठा दन्तुक्खलिया उम्मज्जगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकुला उत्तरकुला संखधमा कुलधमा मियलुइया हत्थितावसा उद्दण्डा दिसापोक्खिणो वक्कवा 15 सिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्खमूलिया अम्बुभक्खिणो वायुभक्खणो सेवालभक्खिणो सूलाहारा कन्दाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडियकन्दमूलतयपत्त पुप्फफलाहारा जलाभिसेयकढि - For Private and Personal Use Only ३९ गायभूषा आया णाहिं पञ्चग्गितावेहिं इङ्गालसोलियं 20 कन्दुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरन्ति । तत्थ णं जे ते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं अन्तिम दिसापोक्खियतार पवइतर, पव्वइए वि य णं समाणे इमं पयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि - कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठेछट्ठेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेण उडूं 25 वाहाओ परिशिय २ सूराभिमुहस्स आयावणभूमीप आयावेमाणस्स विहरित्तर "त्ति कट्टु एवं संपेहेइ । २
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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