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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पढमो वग्गो " काले णं, भन्ते, कुमारे चउत्थीए पुढवीए...अणन्तरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववर्जािहइ ?" ॥ “गोयमा, महाविदेहे वासे जाइं कुलाई भवन्ति अडाई, जहा दढपइन्नो [ जाव ] सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ [ जाव ] अन्तं काहिइ" ॥ 5 "तं एवं खलु, जम्बू, समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते ॥ ॥ पढमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ११ ॥ " जइ णं, भन्ते, समणेण जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नते, दोच्चस्स णं, भन्ते,10 अज्झयणस्स निरयावलियाणं समजेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अट्टे पन्नत्त ?" एवं खलु, जम्बू ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं चम्पा नाम नयरी होत्था । पुण्णभद्दे चेइए । कूणिए राया । पउमावई देवी । तत्थ णं चम्पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कुणियस्त रन्नो चुल्ल-15 माउया सुकाली नामं देवी होत्था सुकुमाला । तीसे णं सुकालीए देवीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे होत्था सुकुमाले । तए णं से सुकाले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दन्तिसहस्सहिं, जहा कालो कुमारो, निग्वसेसं तं चेव भाणियव्वं जाव महाविदेहे वासे...अन्तं काहिइ ॥ 20 ॥ बोयं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ १२ ॥ एवं सेसा वि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा पढमसरिसा, नवरं मायाओ सरिस नामाओ॥ ॥ निरयावलियाओ सम्मत्ताओ । ।। निक्खेवो सव्वेसिं भाणियव्वो तहा ।। 25 ॥ पडमो वग्गो सम्मत्तो ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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