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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४ www.kobatirth.org निरयावलियास " एवं खलु, जम्बू, समणेणं भगवया, [ जाव ] संपतेणं एवं उवङ्गाणं पञ्च वग्गा पन्नत्ता । तं जहा निरर्यावलियाओ, कप्पवडिसियाओ पुष्कियाओ, पुष्कचूलियाओ, वहिदसाओ " 39 3 15 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 5 "जइ णं, भन्ते, समणेणं, जाव संपत्तेण उवङ्गाणं पञ्च वग्गा पन्नता, तं जहा - निरयावलियाओ [जाव] वहिदसाओ, पढमस्स णं, भन्ते, वग्गस्स उवङ्गाणं निरयावलियाणं समणेण भगवया, जाव संपत्तणं कइ अज्झयणा पन्नत्ता ? " 11 ८८ एवं खलु, जम्बू, समणेणं, [ जाव ] संपत्तेर्ण उवङ्गाणं 10 पदमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पन्नता तं जहा काले सुकाले महाकाले कण्हे सुकण्हे तहा महाकण्हे वीरकण्हे य बोद्धव्वे । रामकण्हे तहेव यपि उ सेणकण्हे नवमे, दसमे महासेणकण्हे उ" ॥ " जइ णं, भन्ते, समणेण [जाव] संपत्तेर्ण उवङ्गाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पन्नता, पढमस्स णं, भन्ते, अज्झयणस्स निरयावलियाणं सममेणं [ जाव ] संपत्तेर्ण के अड्डे पन्नते ? " ॥ "एवं खलु, जम्बू” 20 तेणं कालेणं तेणं समरणं इहेव जम्बु दीवे दीवे भारहे वासे चम्पा नामं नयरी हात्था | रिद्ध। पुण्णभद्द चेइए । तत्थ णं चम्पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणार देवीए अत्तर कूणिए नाम राया होत्था । मया । तस्स णं कूणियस्स रन्नो पउमावई नामं देवी होत्था, सोमाल° [जाव] ० For Private and Personal Use Only
SR No.020505
Book TitleNirayavaliyao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, V J Chokshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1934
Total Pages406
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size17 MB
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