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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्योतिषचमत्कार समानामाः ॥ प्रश्न-क्या इस प्रकार की कन्या उमर भर कुमारी रहेंगी, (उत्तर) नहीं २ इसी प्रकार के वनों से इनका ठीक २ साम्य हो जायगा ॥ प्रियपाठक!: इस ग्रन्थ को समाजी लोग भी मानते हैं - मारे मित्र जोशी जी तो सनातन धर्मी हरिभक्त हैं। अवश्य ही इसे मानेंगे । और देखिये चिट्ठीपर्जी भी ॥ ( प्रापरसं० खं ३ सू० १४ से १८ तक) शक्तिविषये द्रव्याणि प्रतिच्छन्नान्युपनिधाय ब्रूयादुपस्पृशेति ॥ १५ ॥ नानावीजानि संसृष्टानि वेद्याः पांसून् क्षेत्राल्लोष्टं शकृच्छ्मशानलोष्टमिति ॥ १६ ॥ पूर्वेषा-मुपस्पर्शने यथा लिङ्गं वृद्धिः ॥ उत्तमं परिचक्षते ॥ १७ ॥ वन्धुशीललक्षणसम्पन्नः श्रुतवानरोग इति वरसम्पत् ॥१८॥ । अर्थात् शक्ति नाम घर बा कुटुम्बके गोगों को सम्मति होतो आगे लिखे मनसे इस प्रकार का भी साम्य मरे। पांच गाला बनावे उन को एक जागह घर के वर कन्या से कहै कि इनमें से एक उठाले ॥ १४ ॥ धान गेहूं जो प्रादि मिलेहुये अनेक अन्द, वेदी की धलि,खेत का ढेला, गोवर और श्मशान की मट्टी इन पांचों को छिपा के उठावे ॥ १५॥ इनके उठाने में अन्न का हेन्बा उठावै तो उन्तानों की वृद्धि, वेदी की धलि उठाये तो यज्ञादि पर्म कागड की वृद्धि खेल के ढेना से धनधान्य की वृद्धि, गोवर से पशुओं की वृद्धि और साघट को मिट्टो उठाने से मरणा की वृद्धि जाने ॥१६॥ उतम नाम अन्त के गरघट के ढेना उठाने को प्राचार्य लोग बुरा कहते हैं उपसे वर कन्या दोन अथवा एक का अवश्य मरणा होगा ॥ २७ ॥ भाई प्रादि अच्छे कुन बाली अच्छे न स्त्रभाव वाली और हाय रेखादि चिह जिस्के अच्छे हों ग्रह उत्तम हों महर्षि पतञ्जलि के लेखा नमार म घर For Private And Personal Use Only
SR No.020489
Book TitleMurtimandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhivijay
PublisherGeneral Book Depo
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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