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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथमोऽध्यायः॥ के कौन ग्रन्थ थे जिन के द्वारा ऋषे मुनि तीनोंका को बातें जानते थे। महर्षि वाल्मीकि जी ने रामचन्द्र के जन्म से पूर्व किस ज्यातिष ग्रन्थ से जानकर रामायणा बना दिया था । और गर्ग मुनि ने भगवान् श्यामसुन्दर के जन्म के ममय कम को मारेंग इत्यादि किम विद्या के बन से बता दिया था ?। प्राप लिख चुके हैं ज्यातिघ के प्रभाव से ॥ प्रश्न-गणित से या फलित से, फलित का नाम मापने यवन ज्योतिष रक्खा है। यदि कहो कि भूमिटु न्तादि ग. णित के ग्रन्थों से सो कोई भी इस बात को नहीं मानेगा, [ यदि कहोगे योगबल से तो योगशास्त्र का ज्योतिष से कोई सम्बन्ध नहीं ] कारण कि सर्पसिद्धान्तादि ग्रन्थों में केवल ग्रहस्पष्ट तथा ग्रहणापासादि का गणित भगोल का वर्सन है। इस से अतिरिक्त भत भविष्यत् वर्तमान कुछ भी उन ग्रन्थों से नहीं जाना जाता रहा फलित, सोवास्तव में जिस फलित से ऋषि मुनियों ने ऊपर की बातें जानी थीं उस फलित को भाप यवन ज्योतिष कहकर खगहन ही करने लगे, जोशीजी ! अपनी पुस्तक में ऋषियों का ज्योतिष कई जगह आपने लि. खा पर ग्रन्थों के नाम कहीं न लिखे । लिखते कैसे उन ग्रन्यों का तो खण्डन ही आप करने वैठे थे । जोशी साहव को उ. चित है कि उन ग्रन्थों के नाम लिखें जिन ज्योतिष के ग्रन्थों से मुनिमण तीनों काल की बातों को जानते थे। आगे आपने फरमाया है कि कौन ऐसा नास्तिक होगा जो हिन्दू हो कर सन ऋषि मुनियों के ज्योतिष को कठाक है, डिप्टीसाहव ! श्राप स्वयं न्याय ( इन्साफ ) तथा तहकीकात कीजिये स्वयं विदित हो जायगा कि ऐसा कौन नास्तिक हिन्दू है जो ज्योतिष का खण्डन करने लगे। ज्योतिष चमत्कार, जोशीजी लिखते हैं कि “मैं कोई न. माजी समाजी नहीं हूं सनातन धर्म का माननेवाला हरि भक्त वैष्णव हूं" ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020489
Book TitleMurtimandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabdhivijay
PublisherGeneral Book Depo
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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