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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३४१ धर्म प्रभावक परम पूज्य श्री १०८ कुंथुसागरजी म. के तथा पूज्य बालाचार्य मुनि श्री कल्पवृक्षनंदीजी म. एवं मुनि श्री १०८ निश्चय सागरजी म. के मंगलमय सान्निध्य में प्रतिष्ठा महोत्सव वि.सं. २०५४ का माह सुदि १०, शुक्रवार, ता. ६-२-९८ को सम्पन्न हुआ था। पूज्य भट्टारक स्वस्ति श्री लक्ष्मीसेन स्वामी (कोल्हापुर) स्वस्ति श्री जिनसेन स्वामीजी (नान्दनी), स्वस्ति श्री भुवन कीर्तिजी स्वामीजी (कनकगिरी, मैसुर) एवं स्वस्ति श्री धवल कीर्ति स्वामीजी, (धिरुमले तामिलनाडु) प्रतिष्ठाचार्य श्री प्रदीपकुमारजी जैन मधुर तथा प्रतिष्ठाचार्य श्री मांगीलालजी जैन (उदयपुर) के द्वारा प्रतिष्ठा विधि सम्पन्न हुई थी । यहाँ भव्य सुन्दर शिखरबंदी जिनालय का निर्माण हुआ हैं । यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजु बाजु में श्री आदिनाथ भगवान एवं महावीर स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ५ प्रतिमाजी, ताँबे के यंत्र १७ के अलावा क्षेत्रपाल एवं पद्मावती देवी की प्रतिमाजी बिराजमान है। श्री दिगम्बर जैन मन्दिर ट्रस्ट की स्थापना सर्वप्रथम वि.सं. २०४० में हुई थी। यहाँ श्री स्याद्वाद शान्तिनाथ दिगम्बर जैन पाठशाला एवं श्री दिगम्बर जैन मण्डल की व्यवस्था हैं। डोम्बिवली (पश्चिम)। (५८) १००८ श्री आदिनाथ भगवान चैत्यालय सौरभ पॅलेस ग्राउन्ड फ्लोर, बालकृष्णा एपार्टमेन्ट के सामने, घनश्याम गुप्ते रोड, डोम्बिवली (प.), जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन : कारखाना ९११-४७१७२८, घर - ९११-४७३९७१, ९११-४६३५६२ विशेष :- भगवान आदिनाथ दिगम्बर जैन मण्डल डोंबिवली की स्थापना ता. १९-१०१९९० को हुई थी, जिनके प्रयास से पूजापाठ - दर्शन हेतु सौरभ एपार्टमेन्ट में ४०० स्क्वेयर फीट जगह में चैत्यालय का निर्माण किया, जिनकी प्रतिष्ठा परम पूज्य आचार्य श्री दर्शनसागरजी म. के शिष्य परम पूज्य बालयोगी मुनि श्री कल्पवृक्ष नन्दिजी म. के सान्निध्य में तथा संहितासूरि प्रतिष्ठाचार्य पंडित फतहसागरजी शास्त्री एम.ए. उदयपुर (राजस्थान) की निश्रा में मंगल महोत्सव के साथ ता. २३-४९४ को मन्दिरजी में भगवान बिराजमान किये गये । यहाँ सफेद आरस की मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान की एक प्रतिमाजी तथा पंच धातु की ८ प्रतिमाजी बिराजमान है। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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