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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१७ मुम्बादेवी - कालबादेवी (३) श्री १००८ पार्श्वनाथ भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर २०६, कालबादेवी रोड, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- ३६१ ३३५४ गुणमाला झवेरी विशेष :- प्रतापगढ (राज.) निवासी दिगम्बर जैन वीशा हुमड जातीय सेठ पुनमचन्दजी उनके पुत्र धासीलालजी एवं उनके पुत्र सेठ गेदमलजी, दाजीय रामजी एवं मोतीलालजी ने इस जिनालय का निर्माण कराया, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १९९० में हुई। आपके परिवार से संघ निकला था। अत: संघवी परिवार कहलाये तथा आपके परिवार में से दिगम्बर जैन साधु व्रत भी स्वीकार किये थे। ___ संघवी परिवार के सबसे बडे पुत्र यानी ज्येष्ठ भ्राता सेठ गेंदमलजी उन्होने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती गुलाबबाई व पुत्री कु. गुणदेवी के साथ मिलकर मन्दिरजी की प्रथम और दूसरी मंजिल का निर्माण कराया था। सबसे नीचे मूलनायक श्यामरंग की श्री पार्श्वनाथ प्रभु की एक प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३ और उसके बाजू में दो शो केस में अनेक श्वेतधातु के प्रतिमाजी सुशोभित हैं। प्रथम माले पर आरस की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु के २ प्रतिमाजी, दिवारो पर ६ तीर्थो के पट आरस पर बनाये सुशोभित हैं। दूसरी मंजिल पर श्वेत आरस की १ प्रतिमाजी, श्याम रंग की दो प्रतिमाजी, २ पंचधातु की खडी काउस्सग प्रतिमाजी, २ श्याम रंग की आरस की प्रतिमाजी तथा एक समवसरण शोभायमान प्रतीत हो रहा हैं। श्री सीमन्धर स्वामी भगवान दिगम्बर जैन मन्दिर १७३/१७५ मुम्बादेवी रोड, मुम्बादेवी मन्दिर के सामने, मुंबई - ४०० ००२. टेलिफोन :- ३४२ ५२ ४१, ३४४ ६० ९९ (ओ.) २६५ २० ३१ (ओ.), ३८६ २७ ८६ (घर) श्री हसमुखलाल पोपटलाल वोरा विशेष :- यह मन्दिर भवन के दूसरी मंजिल पर आया हुआ हैं। यहाँ मूलनायक श्री सीमन्धर स्वामी तथा आजुबाजु में श्री चन्द्रप्रभ स्वामी एवं वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की श्वेतरंग की ३ प्रतिमाजी एवं पंचधातु की ४ प्रतिमाजी बिराजमान हैं। यहाँ प्रथम मंजिल पर श्री कानजीस्वामी प्रवचन हॉल हैं । इस हॉल में श्री कुंदकुंद स्वामी एवं श्री कानजीस्वामीजी की भव्य तस्वीर सुशोभित हैं। सिर्फ दो मंजिल भवन होते हुए भी लिफ्ट की व्यवस्था हैं । जहाँ अशक्त महानुभाव सरलता से परमात्मा के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं। श्री कानजी स्वामी के सानिध्य में वि. सं. २०१३ का माह सुदि ६ को प्रतिष्ठा हुई थी। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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