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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर ३१३ म. की पावन निश्रा में यहाँ के उपासरे का भूमिपूजन २०५३ का वैशाख सुदि - ३, ता. ३-६-१९९७ को तथा जिनालय का भूमिपूजन - शिलारोपण ता. २०-१०-९७ को हुआ था। (४८१) श्री शान्तिनाथ भगवान शिखरबंदी जिनालय ___ धणसोली, मेनरोड, नवीमुंबई, जि. थाणा, (महाराष्ट्र) टेलिफोन :- ७६९ १५ ९९ - भंवरलालजी, ७६६ ६० १८ हन्सराजजी, ७६९ १३ ३० - नेनमलजी, ७६६६० १९ - मोहनजी विशेष :- इस मन्दिरजी के लिये एक गुंटा जमीन जैन संघ ने खरीदी थी और एक गुंटा जमीन शा. मेघराजजी जुहारमलजी थाणा (आहोर) वालो की तरफ से भेट मिली थी। इस जिनालय का खात मुहूर्त वि. सं. २०४१ का वैशाख सुदि ३, शुक्रवार, ता. ४-५-८४ को परम पूज्य शासन सम्राट् नेमि - लावण्य के पट्टधर एवं इस जिनालय के प्रेरणा दाता आचार्य श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में शा. नेनमलजी मुलतानमलजी तीखी (राज.) वालो के हाथो से सम्पन्न हुआ था। इस जिनालय की भव्य प्रतिष्ठा आत्म - वल्लभ - समुद्र समुदाय के परम पूज्य आ. श्री विजय इन्ददिन्न सूरीश्वरजी म. के शिष्य आ. श्री विजय रत्नाकर सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का माह वदि, रविवार ता. २७-२-९४ को हुई थी। यहाँ मूलनायक श्री शान्तिनाथ भगवान तथा आजुबाजू में श्री आदिनाथ भगवान एवं श्री मल्लिनाथ भगवान की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, ताँबे के यंत्र - २ के अलावा यक्ष - यक्षिणी, श्री पद्मावती देवी एवं श्री अंबिका देवी भी सुशोभित हैं। पाषाण की ३ मंगलमूर्ति भी बिराजमान हैं। नीचे उपाश्रय एवं उपर जिनालय हैं। (४८२) श्री संभवनाथ भगवान गृह मन्दिर मु. बेलापुर, पोष्ट - कोंकण भवन, नवी मुंबई - ४०० ६१४, जि. थाणा (महाराष्ट) टेलिफोन :- ७५७ २२ २६ - तेजराजजी, ७५७ १६ १६, ७५७ ०१ ९७ - जितेन्द्रजी विशेष :- इस गृह मन्दिरजी के संस्थापक एवं संचालक राजस्थानी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ - बेलापुर हैं। परम पूज्य आचार्य श्री विजय आनंदधन सूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०४५ का वैशाख सुदि ७, ता. ११-५-८९ को चल प्रतिष्ठा हुई थी । यहाँ मूलनायक श्री संभवनाथ भगवान तथा आजूबाजू में श्री महावीर स्वामी एवं श्री वासुपूज्य स्वामी की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की ४ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, अष्टमंगल - १ के अलावा श्रीमणिभद्रवीर, श्री नाकोडा भैरूजी तथा दुरितारि देवी व त्रिमुख यक्ष बिराजमान हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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