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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मुंबई के जैन मन्दिर आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ का मगसर सुदि १४, शनिवार, ता. १३-१२-९७ को हुई थी। यहाँ की पुण्य भूमि पर शृंग के उपर शत्रुंजय तीर्थ की स्थापना और श्री आदीश्वर दादा की प्रतिमाजी मूलनायक रुप में बिराजमान होगी, तथा भोजनशाला, धर्मशाला का भी निर्माण होनेवाला हैं। फिलहाल यहाँ आदिनाथ भगवान की मेहमान के रुप में प्रतिमाजी बिराजमान है। यहाँ श्री आदिनाथ प्रभु की चरण पादुका की प्रतिष्ठा करने वाले सेठ श्रीमान पुखराजजी वरदीचन्दजी बांकली (राज.) वालोने लाभ लिया हैं। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवी मुंबई (वाशी) (४७४) श्री महावीर स्वामी भगवान भव्य शिखरबद्ध जिनालय सेक्टर नं. ३A, प्लोट नं. १, बस स्टेण्ड के बाजू में, अग्निशमन केन्द्र के सामने, नवी मुंबई - वाशी - ४०० ७०३. टे. फो. ७६६६६२२ ऑफिस : ३०९ विशेष :श्री आत्म-कमल-लब्धि समुदाय के शतावधानी आ. श्री कीर्तिचन्द्रसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की मंगल प्रेरणा एवं शुभ आशीर्वाद से इस जिनालय की स्थापना हुई थी । इस जिनालय के भूमिपूजन का लाभ शाह कोरशी खेतशी परिवार वालोने, खनन विधि का लाभ शा. चंपालालजी जेठमलजी संघवी परिवार वालोने तथा मुख्य कूर्म शिला का लाभ श्री केशवजी जेठाभाई सावला गाम बाडावालोने लिया था । परम पूज्य आचार्य श्री कलापूर्णसूरीश्वरजी म. की शुभ प्रेरणा से जिनालय के मुख्य सहायक दाता रुप में श्री आधोई वीशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघ कच्छ, तथा निर्माण दाता के रुप में श्री सामखीयारी वीसा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन संघने लाभ लिया हैं । परम पूज्य आ. श्री लब्धिसूरीश्वरजी म. के समुदाय के आ. श्री विजय जिनभद्रसूरीश्वरजी म., संघ के मार्गदर्शक परम पूज्य आ. श्री यशोवर्मसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवन्तो की पावन निश्रा में वि.सं. २०५४ का मगसर सुदि ५, गुरुवार, ता. ४-१२-९७ को प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था । मूलनायक प्रतिमाजी भराने का लाभ शा. मांगीलालजी राजेन्द्रकुमार कराडवालोने लिया हैं। 1 For Private and Personal Use Only मूल गंभारे में श्री महावीर स्वामी मूलनायक सहित पाषाण की ११ प्रतिमाजी, पंचधातु की १० प्रतिमाजी, ११ सिद्धचक्रजी, वीस स्थानक, अष्टमंगल, २ यंत्रो के अलावा श्री गौतम स्वामी, श्री सुधर्मा
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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