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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २९१ मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०५० का वैशाख वदि ७, सोमवार, ता. ३०-५-९४ को श्री सुविधिनाथ भगवान २१” की प्रतिमाजी की स्थापना गृह मन्दिरजी में हुई थी। जिसको भराने का लाभ श्री भवानजी पदमशी विसरीया (गढशीशा ) ने लिया था, अंजनशलाका व प्रतिष्ठा का लाभ भाग्यशाली श्रीमती शांताबेन कानजी हीरजी गडा मंजल रेलडिया परिवारने लिया था। इस शिखरबंदी जिनालय का खातमुहूर्त वि. सं. २०५० का वैशाख वदि ६, सोमवार, ता. ३०५-९४ को तथा शिलारोपण वि. सं. २०५० वैशाख वदि १३, सोमवार, तारीख ६-६-९४ को हुआ था। इस भव्य जिनालय का निर्माण होनेपर इसकी प्रतिष्ठा पूज्य आचार्य श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५४ जेठ सुदि २, बुधवार, ता. २७-५-९८ को हेलीकोप्टर से पुष्पवृष्टि से युक्त धामधूम से हुई थी। यहाँ के मूलगंभारे में मूलनायक श्री सुविधिनाथ भगवान ३७" तथा आजु बाजु में श्री शांतिनाथ प्रभु ३१", श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ ३१" इसके अलावा श्री आदिनाथ प्रभु ३१" श्री संभवनाथ प्रभु ३१", श्री मुनिसुव्रतस्वामी २१", श्री सुविधिनाथ भगवान २१" की पाषाण की ७ प्रतिमाजी, पंचधातु की ६ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - ३, अष्टमंगल - २, वीसस्थानक - १, ताँबे के यंत्र - २ बिराजमान हैं। श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली द्वारा तीन जिनालय स्थापित हुए (१) श्री जीरावला पार्श्वनाथ जिनालय वि. सं. २०३५ में, डोंबीवली (पूर्व), (२) श्री सुविधिनाथ जिनालय वि. सं. २०५० में डोंबीवली (पूर्व), (३) श्री मुनिसुव्रत स्वामी जिनालय वि. सं. २०५३ में डोंबीवली (पश्चिम) इन तीनो जिनालयो का संचालन भी इसी संघ द्वारा हो रहा हैं। वि. सं. २०३७ में पू. साध्वीजी श्री अरूणोदयश्रीजी म. की प्रेरणा से मातुश्री पुरबाई खीमजी भुलाभाई वीरा कच्छ देवपुरवाला आयंबिल खाता प्रारंभ हुआ था। __ पू. गणिवर्य श्री महोदयसागरजी म. सा. की प्रेरणा से वि. सं. २०४४ से श्री जीरावला पार्श्वनाथ जैन पुस्तकालय तथा नूतन उपाश्रय की स्थापना हुई थी। पू. आ. श्री कलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म. की प्रेरणा से संवत २०५४ में श्री आर्यरक्षित जैन भंडार का शुभ आरंभ हुआ था । यहाँ श्री कल्पतरू अंचलगच्छ त्रिमंजील जैन भवनका उद्घाटन पू. आ. श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०५३ का वैशाख वदि ४, रविवार, ता. २५-५-९७ को ठाठ से हुआ था। संघ की तरफ से श्री कल्याण - गुण - कला सिंधु जैन पाठशाला सहित १५ जैन पाठशालाओं का संचालन हो रहा हैं । यहाँ सुविधि जिन गुण महिला मंडल, श्री डुमरा नारीवृंद भक्ति भावना में अग्रसर हैं। श्री नमिनाथ भगवान गृह मन्दिर सर्वेश सभागृह के बाजू में, राखी एपार्टमेन्ट कम्पाउण्ड में, तिलक रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा (महाराष्ट्र). टेलिफोन :- ९११ - ४५२ ४०९ पंकजभाई , ९११-४४७ ९३८ - रजनीभाई For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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