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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुंबई के जैन मन्दिर २८९ वि. सं. २०३५ में मातुश्री पूरबाई खीमजी भुलाभाई वीरा कच्छ देवपुरवाला परिवार तरफ से घाटकोपर के सर्वोदय पार्श्वनाथ तीर्थ से प्राप्त श्री जीरावला पार्श्वनाथ भगवान की स्थापना हुई थी। यहाँ श्री अंचलगच्छ जैन संघ डोंबीवली द्वारा संस्थापित एवं संचालित गृह मन्दिरजी की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य आ. भगवंत श्री कलाप्रभसागर सूरीश्वरजी म. की पावन निश्रा में वि. सं. २०४३ का काति वदि ११, शुक्रवार, ता. २१-११-८६ को हुई थी। __ यहाँ मूलनायक श्री जीरावला पार्श्वनाथ तथा आजूबाजू में श्री धर्मनाथ भगवान, श्री शांतिनाथ प्रभु की पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंचधातु की २ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - १, विसस्थानक - १, तांबे के समवसरण पर ४ पंचधातु की चऊमुखी प्रतिमाजी, ताँबे के ३ यंत्र के अलावा पार्श्वपक्ष, पद्मावती देवी, चक्रेश्वरी देवी, तथा शत्रुजय पट एवं सम्मेत शिखर पट भी दर्शनीय हैं। श्री अंचलगच्छ जैन संघ - डोंबीवली संचालित मातुश्री पुरबाई खीमजी वीरा देवपुरवाला वर्धमान तप आयंबिल खाता दूसरा माले पर, स्टोर रूम और उपाश्रय भी हैं। (४४३) श्री शान्तिनाथ भगवान गृह मन्दिर शिवमार्केट, तीसरा माला, मानपाडा रोड, डोंबीवली (पूर्व), जि. थाणा, महाराष्ट्र टेलिफोन नं.-९११-४३३ २६० - रामरतनजी, ९११ - ४४४ ८२७ - केसरीमलजी विशेष :- श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा संस्थापित एवं संचालित इस गृह मंन्दिर की चल प्रतिष्ठा परम पूज्य श्री नेमि-लावण्य के पट्टधर आ. श्री विजय दक्षसूरीश्वरजी म. के शिष्य आचार्य श्री विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. आदि मुनि भगवंतो की पावन निश्रा में वि. सं. २०३७ का वीर सं. २५०७, जेठ सुदि - १०, ता. १२-६-८१ को हुई थी। ___ यहाँ मूलनायक श्री शांतिनाथ भगवान, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान, श्री नाकोडा पार्श्वनाथ एवं श्री जीरावला पार्श्वनाथ सहित पाषाण की ४ प्रतिमाजी, पंचधातु की ७ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी - २, वीसस्थानक - १, अष्टमंगल - १ के अलावा शत्रुजय, गिरनारजी व पावापुरी पट दर्शनीय हैं। यहाँ श्री मुनिसुव्रतस्वामी, श्री आदीश्वर भगवान, श्री विमलनाथ भगवान, श्री वासुपूज्य स्वामी, एवं श्री महावीर स्वामी मेहमान के रूप में विराजमान हैं। ___ यहाँ उपाश्रय, श्री शान्तिनाथ जैन पाठशाला, आयंबिल खाता, श्री राजस्थान जैन युवक मंडल, श्री महावीर महिला मंडल आदि धार्मिक कार्य सेवा - भक्ति में अग्रसर हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020486
Book TitleMumbai Ke Jain Mandir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal M Jain
PublisherGyan Pracharak Mandal
Publication Year1999
Total Pages492
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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